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________________ ( २० ) . भवमा मेळधेली झडपथी ( पूर्व भवना संस्कारथी) अथवा गुरुकृपायों, मनने पवित्र राखवानी रेव पालीने आ तत्वनुं ज्ञान टुंक वखतमा मेळवी शकाय छे. पांच तत्त्वो परनुं ध्यान. पृथ्वीतत्वने चोरसे आकारन, पीळा रंग, मीठा स्वाइनु, तमारा . शरीरनो रंग सुवर्ग जेवो शुद्ध बनावतुं, शरीरने रोगथी मुक्त अने हल' करतु कल्पी तेनापर · लम् ' शब्दथी ध्यान करो. __ अळतत्वने अर्धचंद्राकारर्नु, चंद्र जेQ धोलु, भुख अने तरस सहन करवानी शक्ति आपनाएं, अने जळमा डुबकी मारी होय तेवा प्रकारनी लागमी उत्पन्न करतुं कल्पी तेना पर 'वम् ' शब्दथी ध्यान करो. तेजस्तत्वने त्रिकोण आकारर्नु राता रंगर्नु, घणो खोराक अने पाणी पचाववानी शक्ति आपतुं, अने सख्त अग्निनो ताप सहन करवानुं बळ आपतुं कल्पी तेनापर ' रम्' शब्दथी ध्यान करो... वायुतत्वने गोळ आकारनु, आकाश जेवा भूरा रंगर्नु, अने आ काशमा जवानी अने पक्षीनी माफक उडवानी शक्ति आपतुं कल्यी तेना (यम् ) पर धम् शब्दथी ध्यान करो. आकाशतत्वने आकार वगरनु अनेक रंगोना प्रतिबिंब ग्रहण करतुं, "त्रिकाळ ज्ञानने अने अणिमा, लघीमा वगेरे योगनी आठ सिद्धिोने आपतुं, कल्पी तेनापर 'हम्' शब्दथी ध्यान करो. . स्वरशास्त्रना, यथार्थ ज्ञान करता मोटुं धन आ जगतर्मा बीजं एक पण नथी. स्वरशास्त्रने बराबर जागनार बहु धांधळ शि काय सारं फळ मेळवे छे. .. शिष्ये पूछयु:-हे गुरुदेव ! हे सुखदाता ! स्वरोदयतुं ज्ञान उसमा : त्तम छे; पण तेथी त्रिकाळ ज्ञान शी रीते थइ शके ? ... गुरुए जवाब वाळ्योः-हे शिष्य ! आ त्रिकाळ ज्ञान छे ते नाचना अण बाबतोने लगतुं . . . Scanned by CamScanner
SR No.034084
Book TitleSwarshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVadilal Motilal Shah
PublisherVadilal Motilal Shah
Publication Year1910
Total Pages47
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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