SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १८ ) गुरु ते पृथ्वीतत्व छे; चंद्र अने शुक्र ते जळतत्व में सूर्य अने मंगळ ते तेजस्तत्व छे; राहु, केतु अने शनि ते वायुतत्व छे; अने बुध ते आकाशतत्व है. पृथ्वीतत्व चालतुं होय त्यारे कोइ सवाल पूछे तो कहने के ते पृथ्वी संबंधी (मूळ संबंधी ) छे; जळतत्वमां जींदगी संबंधी है; तेजस्तवमा खनीज पदार्थ संबंधी छे; अने आकाशतत्त्वमां कांइ पग संबंधी नथी. पृथ्वी अने जळतत्वमां (1) सुख (२) वृद्धि (३) प्रेम (४) खुशमीजाज (५) विजय भने (६) हास्य बने थे. तेजस्तत्व अने अग्नितत्वमां (७) कर्मेन्द्रिओनी काम करवानी अशक्ति (८) ताव, (९) कम्प, (१०) परदेशगमन आटली कामो बने छे. आकाश तत्व, (११) निस्तेजपणुं अने ( १२ ) मरण निपजे छे. आ बार बाबतो चंद्रनी जूदी जूही स्थितिओ के. पूर्व, पश्चिम, दक्षिण : अने उत्तर दिशामां पृथ्वीतत्व, जळतत्व, तेजस्तत्व अने वायुतत्व मुख्य होय छे; माटे ते प्रमाणे जवाब आपवो. हे शिव्य ! आ शरीर पृथ्वी, जळ, तेजस्, वायु अने आकाश ए पांच महाभूतनुं बनेलं छे, एम जागवुं. 1. ब्रह्मविद्या जगावे छे के- शरीरमा हाडकां, स्नायु, चामडी, नाही अने वाळ आ पांच पृथ्वीतत्वना विभाग छे. ब्रह्मविद्या जगावे छे के: वीर्य, रजस्, चरबी, मूत्र, अने थूक आ पांच जळतत्वना विभाग शरीरमां ब्रह्मविद्या जणावे छे के:- भूख, तरस, उंघ, प्रकाश अने सुस्ती आ पांच तेजस्तत्वना विभाग शरीरमां छे. ब्रह्मविद्या जगावे छे के:-दूर कर, चाल, संघ, संकोचानुं भने विकरवर थ आ पांच वायु तत्वना विभाग शरीरमां छे.. Scanned by CamScanner
SR No.034084
Book TitleSwarshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVadilal Motilal Shah
PublisherVadilal Motilal Shah
Publication Year1910
Total Pages47
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy