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________________ जळतत्व पूर्वमा ले, पृथ्वीतत्व पश्चिममा छे, बायु उत्तामा छे; तेज. स्तत्त्व दक्षिगमा अने आकाशतत्त्व मध्यमों छे.. पृथ्वीतत्व के जळतत्वमा चंद्ररवा चालतो होय तो अघळो नम्र कार्यामा विजय म छे. अग्नितत्वमा सूर्यस्वर चालतो होय तो सघना दीत कार्यामां लाभ मळे हे. पृश्वीतत्व विवो लाभर्नु कारग थाय छे. जळतत्व रात्रिए लाभन कारण थाय छे. तेजस्तत्व मरणर्नु कारण बने छै. वायुतत्वमा घटारोनुकशान थाय छे. अने आकाशतत्व फेटलीकवार बाळे हे. जोववानी योग्यतामां, पत्तेह मेळववामी, आपकमरे, खेतीमों, ( केटलाकना मत प्रमाणे भोग भोगववामा) धन एकहुं करवामा, मंत्रनो अर्थ समजवामां, लडाइ संबंधी सवाल पूछवामा, जवा आचयामाः एरला कामोमा जळतत्वमा लाभ म छे. पृथ्वीतत्वमा मंगळवारी कार्य होय त्यांन त्यो पही रहे थे; वायु तत्वमा ते बीने जतुं रह छ; अने आकाश के तेजस्तत्वमा तो माग के नुकशान थाय छे. पृथ्वीतत्वमा मूळीनो विवार ‘आवे छे अने जळ वायुतत्वमा जीवतो प्राणीओनो विवार आवे छे. तेजस्तत्वमा खनीज पदार्थको विवार उद्भवे छे. आकाशमा शून्य अथवा काइ पग विवार उठतो नथो. पृथ्वीतत्वमां मनुष्य घगा पगवाळां जानवरोनो विचार करे छे, जळ अने पायुतस्वमो के पगां प्राणीनो अने तेजस्तस्वमा चोपगांनो अने आकाशतत्वमा पग रहितनो विचार थाय छे. सूर्यस्वा चालतो होय त्यारे मंगळ ते अग्नितत्व है, रवि ते पृथ्वी __ तत्व थे, शनि ते जळ तत्व छ, राहु ते वायु छे. . चंद्रस्वा यालतो होय त्यारे चंद्र ते जळतत्व छे, गुरु से पृथ्वी तत्व छे, बुध ते वायुतत्व , शुक्र ते तेजतत्व है. * * आवो मत केटलाएक विद्वानोनो थे, पग आ लेखकनो तथा महान ज्योतिवेत्ता बराहमिहिरनो अभिप्राय आ पछोना रेग्राफ.मां आपघामां आवेलोछे. Scanned by CamScanner
SR No.034084
Book TitleSwarshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVadilal Motilal Shah
PublisherVadilal Motilal Shah
Publication Year1910
Total Pages47
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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