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________________ (२४) हरकत आवी पडी होय अने ते काममा पैसा खरचवा पडे तेम होय, औषधमा वापरवा होय, पुस्तक लखावयां होय बिगेरे धर्मना कार्यमा पैसानी आवश्यकता होय त्यारे गुरु महाराज वापरवानो उपदेश करे छे; ते वखत मन जरा पण पार्छ फेरवQ नहीं, पण प्रसन्न थइ द्रव्यनों सदुपयोग करवो. ३२ प्रश्ना-गुरु लोभी होय तो केम करवू ? उत्तरः-गुरु महाराज लोभी होय नहीं. जे पोताना शरीरनी, शि. ध्यनी अथवा श्रावकनी आशा राखता मथी ते धननी आशा केम रा. खे ? माटे तेओनी लोभी होवापणानी शंका करवी ज नहीं, तेओ फक्त शरीरना रक्षणने माटे प्रमाणोपेत वस्त्रनुं ग्रहण करे छे अने आ शरीर. वडे ज्ञान दर्शन चारित्रनुं श्राराधन करी शकाय छे तेथी तेने शुद्धमान आहार आपे छे. इंद्रियोनी पुष्टिने अर्थे तो आहार पण लेता नथी. तेमां पण जे आहार गृहस्थे पोताने अर्थे करेलो होय छे ते ज ले छे, तेमाथी पण तेने फरीने करवो न पडे तेटलो ज ग्रहण करे छे, फरीने करवो पडशे एम लागे तो बिलकूल लेता नथी. आहारना संबंधमां एवा निरिच्छायान् होय छे तो पछी बीजो लोभ तो करे ज के. मोने एक कोडि सरखी पण पासे राखी नथी अने जेश्रो राखे छे नेयोने शास्त्रमा गुरुबुद्धिए मानवा कह्या नथी. जिनाज्ञा विरुद्ध एवा वेष धारी, द्रव्यलिंगी, पासथ्थादिक द्रव्यना राखनारने जे गुरुबुद्धिए माने छे तेने मिथ्यात्व लागे छे. . ३३ प्रश्नः-कोइक एम कहे छे के ज्ञाने करीने ज धर्म थाय छे. क्रियाए तो कर्भ छे, तेथी क्रिया करतां धर्म न होय. माटे कदी क्रियारुचि न होय तो पण ज्ञान भणेल होय तो तेने गुरु मानवामा शं अडचण छे ? उत्तरः-शास्त्रमा समकित करीने सहित होय तेने ज ज्ञान कहे छे' अने जेने समकित होय तेतो भगवंतनी आज्ञाना आरात्रक होय, Scanned by CamScanner
SR No.034080
Book TitlePrashnottar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand Malukchand Sheth
PublisherJain Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1906
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size135 MB
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