SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 234
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२२३ ) नां घणां वचन न्यायथी सिद्ध थाय छे ने बीजां कंइक नथी समजातां तेनुं कारण महारं अज्ञान छे. कारण जे अज्ञानना जोरथी यथार्थ न्याय जोडी शकाय नहि, तेमां कंइ सर्वज्ञनी भूल नथी. एम विचार करी सूक्ष्म वातनी श्नडा करे छे, ते पुरुष सम्यक्त परिषह जीत्यो कहीए. ने केटलाएक अज्ञानी जीव बीजा जीवोनी बाह्यनी बाबतोनी तकरारो सां. भली तेमां मूझाइ जाय छे, जेम के हालमा इंग्रेज लोक पृथ्वि फरे छे अने सूर्य स्थिर छे एयूँ कहे छे ने ते उपर अनेक दुर्बिनो वडे जोइने माणसने समजावे छे. ते समजीने माणसो कहे छे जे शास्त्रमा तो सूर्य फरतो कह्यो छे, ते वात मलती नथी. माटे जैनशास्त्र उपर शुं श्रद्धा करीए ? आवी दशा थाय छे, पण ए विषे विचारवानुं छे के जेम ला. खो रुपीआ इंग्रेज लोको एवा काममा खर्चे छ ने तेनी महेनत करे छे महेनत करनारने पण हजारो रुपीआना पगार तथा इनामो मले छे तेवी रीते हालमां जैनमा कोइ राजा नथी अने एवा पइसा खरचवा ते रा. जाओगें काम छे अने पइसा खरच्या विना पृथ्वि उपर फरी शंकाय नहि अने तेनो निर्धार थइ शके नहि अने ज्यां सुधी निर्धार करवानी शक्ति नहि, त्यां सुधी प्रभुना वचन उपर प्रतीत राखवी जोइए. आपणी शक्तिनी कसर बदले शास्त्र उपरथी आस्ता उतारवी योग्य नथी. वली इंग्रेजो कहे छे ते वात न्यायथी पण बेसती नथी, ते छतां तेनां वचनोनी माणसो श्रद्धा करे छे ते करतां प्रभुना वचननी श्रद्धा करे छे, तेज बहु सारी छे. __ हवे इंग्रेजो कहे छे जे सूर्य इहांथी त्रण करोड माइल दूर छे ने आ पृथ्विनो फेरावो २४ हजार माइलनो छे, ते करतां सूर्य चौद लाख गणों मोटो छे. आ रीते माने छे. हवे विचार करो जे पृथ्वि करतां चौद द लाख गणो सूर्य मोटो छे, तो पृथ्विमा रात्री पडवी न जोइए. का. रण जे पासा उपरथी अजवालुं बधे जq जोइए. जेम एक इंचनी सो. पारी एक बाजु उपर होय ने एक बाजु उपर चौद लाख इंच- अ Scanned by CamScanner
SR No.034080
Book TitlePrashnottar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand Malukchand Sheth
PublisherJain Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1906
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size135 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy