SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 233
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २२२ ) पणुं प्रगट थयुं नथी, ते शुं विचारे छे के, मने अावडतुं नथी एटले भ. णवानो वखत काढीने शुं करूं ? एम विचारी ज्ञानाभ्यास बंध करे । तेने ज्ञानावरणी कर्म बंधातां जाय छे. मासतुस मुनि सरखा आत्मार्थि छे ते तो नथी आवडतुं तो पण उद्यम छोडता नथी ने उद्यम नहि छो.. डवाथी कदापि ज्ञान आवडतुं नथी पण समये समये ज्ञानावर्णी कर्म क्षय थतां जाय छे माटे आत्मार्थी पुरुषो तो ज्ञान नथी आवडतुं तो पण ज्ञाननो अभ्यास छोडता नथी ने सदा ज्ञानना उद्यममा प्रवर्ते छे. एवा पुरुषो अज्ञान परिषह जीते छे... सम्यक्त्व परिषह ते आ चौदराज लोकने विषे छ द्रव्य रह्या छे, तेमां पांच द्रव्य अरूपी रह्या छे ने एक पुद्गलद्रव्य रूपी छे तो पण पुदूगल परमाणुं तो अतिशय नहानो छे, दृष्टिए आवतो नथी. एवा घणा परमाणु एकठा थइ बादर स्कंध थाय छे. ते देखवामां आवे छे, पण सू. क्ष्मस्कंध देखवामां आवता नथी. अरूपी पदार्थ पण देखवामां आवता नथी. ए पदार्थ- वर्णन सर्वज्ञ करी गया छे. ते सर्वज्ञ तो रूपी अरूपी सर्व पदार्थ जाणे छे तेमने जाणवू मुश्केल नथी. सहज जाणी लीधां छे ने ते प्ररूप्यां छे. हवें एवा षटद्रव्यना भाबनां वर्णन शास्त्रमा छ, ते जोइने अनेक प्रकारनी अज्ञानपणे शंका थाय छे ने सर्वज्ञना वचन उपरथी आस्ता उठी जाय छे. पण जे पुरुषने सम्यकूज्ञान थयु छे, ते पुरुषे अनुमानथी केटलीएक वस्तुनो निर्णय को छे तेथी ते जाणे छे जे आ सर्वज्ञ निष्पक्षपाती छे जेनी घणी वातो साची समजाय छेने कोइ कोइ सुक्ष्म वातो नथी समजाती तो पण प्रभुना वचन उपर श्रद्धा राखवी ए योग्य छे. महावीर स्वामी महाराजे जे मार्ग प्रात्मधर्म प्रगट करवानो बताव्यो छे, तेथी अधिक कोइ धर्मवालाने देखता नथी. तो हुं शा वास्ते अश्रद्धा करुं ? केटलीएक वात तो प्रत्यक्ष सिद्ध थाय छे. तो जेम पाखा तपेलामां चोखा चडाववा मुक्या होय, तेमांनो एक दा. णो सिझेलो जोइ वधा दाणा शीझी गया मानीए छीए, तेम ा पुरुष । Scanned by CamScanner
SR No.034080
Book TitlePrashnottar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand Malukchand Sheth
PublisherJain Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1906
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size135 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy