SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 206
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तोज आगल पाछल एमने एम चाल्या करे, पण तेम न थाय तो हालमां पण केटलांएक शास्त्रनां नाम छे पण ते पुस्तक मलतां नथी. केटलांएक अधूरां पुस्तको छे, केटलांएक पुस्तकोने उधेइ खाइ गइ छे ने जीर्ण थयां छे एम बन्युं छे. वली एवं कोइ पण स्थानक नथी के सर्व पुस्तको एक जग्याथी मली शके. आ दशा पुस्तकोनी थइ छे. माटे आत्मार्थिए तो जेम बने तेम ज्ञानमा खरच करी सर्व पुस्तको एक ठेकाणेथी नीकले एम करवू जोइए. आ काम मोटा धनवाननु छे अगर तो घणा माणस मली करे, अगर तो ज्ञानना पैसा होय तेमांथी करे, पण आ विचारे जे ने ज्ञान थवानुं निकट हशे तेने सूझशे. बीजाने सूझशे नहि. कारण जे मने तो म्हारा भाग्योदयथी हुँ दश वर्षनो थयो त्यारथी ज्ञानमां पैसा खरचवानी बुद्धि एवी थइ जे जेटला पैसा ज्ञानमां खरचुं एटला बीजा. काममा खरचवानुं चित्त न हतुं, पण एवी बुद्धि थवाथी म्हारा गाममां कोइ भणावनारनो योग नहि. मुनि महाराजनुं आवागमन नहि तेम श्रावक भणेला प्रेरणा करनार मलेला नही, तेम छतां पण नाम मात्र कंइक जैनधर्मनुं ज्ञान मल्यु. ते सर्व फल ज्ञान उपर प्रेम थवानुं छे. वली इंग्रेज लोक परदेशी छे, धर्म पण जूदो छे, तो पण आ देशना माणसोने कलाओ प्रमुख भणाववा सारु हजारो रुपीया खरचे छे तो तेथी ते लोकने केटलो क्षयोपशम थयो छे के अनेक प्रकारनी वगर जोएली कलाओ खोली काढे छे ने अनेक वस्तु नवी उत्पन्न करे छे के जेनुं कृत्य समजी शकातुं नथी. एटली बधी तेमने बुद्धि मलवानुं कारण एटलु छे के ज्ञानन उत्तेजन करवामां अत्युत्साह छे. ए उपरथी विचारवान छे जे संसारी ज्ञानना उत्साहथी एटलो लाभ मले छे तो वीतरागना ज्ञाननी वृद्धि करवाथी केटलो लाभ थाय? माटे आत्मानुं हित करवा पोनाना छोकराने तथा परने हित थाय ते सारु जैनशास्त्र भणाववां. जैन शास्त्र भणवाथी बुद्धि सर्वे काममा वृद्धि पामशे अने भणावनारने लाभ थशे. वली पुस्तक बगडतां होय तो तेनी संभाल करवी. जैननां सर्व Scanned by CamScanner
SR No.034080
Book TitlePrashnottar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand Malukchand Sheth
PublisherJain Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1906
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size135 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy