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________________ सरकारनी अथवा भ्युनिसिपालीटीनी दाणचोरी करवी, स्टांपनी चोरी करवी, तेम ज खरी पेदाश छुपावी थोडी पेदाश उपर सरकारने कर आपवो ते पण अन्याय छे. खातर पाडवं, कुंची लागु करवी, अथवा लूंट पाडवी ते पण अन्याय कहेवाय छे. गुणवंत साधु मुनिराज, भगवंत अने गुरु महाराजना अवर्णवाद बोलवा नहीं. तेम ज शुद्ध धर्मना अवर्णवाद बोलवा नहीं. अने कन्याना पैसा लइ पोते विवाह करवो नहीं. पा शिवाय बहु प्रकारे अन्याय थइ शके छे. ते सर्व त्याग करीने व्यापार कर. वो, ते मार्गानुसारीनुं प्रथम लक्षण छे. २ शिष्टाचार-ज्ञान अने क्रियाए करी उत्तम आचरणवाला मनुष्योना आचार शिष्टाचार कहेवाय छे. तेमां लोक निंदा करे तेवू कार्य करवू नही. राजा दंड करे तेवू काम करवू नहीं. वेश्या तथा परस्त्रीगमन त्यजq. जूगटे रमवू नहीं. शिकार करवा जवू नहीं, चोरी करवी नहीं. घणी जीवहिंसा थाय तेवो व्यापार करवो नहीं. जेथी कोइ माणसने नुकशान थाय, कोइनो जीव जाय, एवं जूठं बोलवू नहीं; बनी शके तो सर्व प्र. कारे जूठु बोलवू नहीं अने मांस, मदिरा, ताडी, मध, माखण, कंदमूल विगेरे अभक्ष्य पदार्थो खावा नहीं. ३ सरखा धर्म आचारवाला साथे विवाह करवो, पण एक गोत्री साथे करवो नहीं, हेमचंद्राचार्ये योगशास्त्रमा एक गोत्रवाला साथे विवाह करवानो निषेध कस्यो छे. स्त्री भर्तारनो धर्म एक ज होय तो धर्म संबंधी तकरार उठवानो संभव रहे नहीं अने धर्मकार्य करवामां परस्पर साधनभूत थइ पडे. ४ सर्व प्रकारना पापथी डरवु. कारण के, पाप करवाथी आ लोकमां निदा थाय अने बीजा भवमां नरकादि दुःख भोगववां पडे. ५ देशाचार प्रमाणे वर्तवू. जे देशमां वसता होइए, ते देशमा जे जे काम करवाथी निंदापात्र न थवाय, तेवी रीते वर्तवू. वस्त्र, आभूषण, अशन पानादि देशनी रीति प्रमाणे करवू. जे देशमा जे वस्त्र पहेरातां हो Scanned by CamScanner
SR No.034080
Book TitlePrashnottar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand Malukchand Sheth
PublisherJain Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1906
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size135 MB
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