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________________ (१२१) शके, पण पोताना आत्मानुं काम करी शके छे. माटे एवा पुरुषनो तप संयम सफल छे. गीतार्थ अने गीतार्थनो निश्राए बे प्रकारनो मार्गज कह्यो छे. ६५ प्रश्नः-गीतार्थनी निश्रा नथी, ने स्वछंदपणे करे तेने कंइ लाभ थाय के नहि ? उत्तरः-भगवतीजीनी छापेली प्रतमां पाना ६९८ मे चौभंगी छे. तेमां कयुं छे जे, जे श्रुते करी रहित अज्ञानी बालतपस्वी गीतार्थ अनिश्रित देश आराधके कह्यो छे. वली ज्ञाताजीनी छापेली प्रतमां पाना ३४६ मे मेघकुमारनो अधिकार छे. मेघकुमारे पाछला हाथीना भवमां ससलानी दया करी तेथी ते ठेकाणे कयुं छे जे संसारनो छेडो आण्यो. विपाकसूत्रमा सुख विपाकमां पाना २६२ थी बाहु तथा सुबाहु कुमारनो पाछला भवनो अधिकार छे. तेमणे मुनिने प्रतिलाभ्या ते वखत कंइ समकित हतुं नहि. तेम छतां त्यां कमु छे के संसार परित करो एटले छेडो श्राण्यो. माटे गीतार्थनी अनिश्राये मोक्षनी कामनाए धर्मकरणी करे छे ते पण सफल थाय छे. परंपराए लाभ मले छे, पण पोताना अहंकारने लीधे गीतार्थनी निश्रा छोडे छे ने मनमां उन्माद करे छे ने गुरु शंकरवाना छे? गुरु जे करवान कहेशे ते तो कुठं छु. एवा अभिप्रायथी क. रनारने तो लाभ थाय एम संभवतुं नथी. गुरुनी जोगवइ नथी मलती तो पण चित्तनी भावना वर्ते छे के, क्यारे मने गुरुनो योग मलशे ? वली मल्येथी तेमनी आज्ञा प्रमाणे वर्तीश. एवा जीवने लाभ थाय छे. ते शिवायना अहंकारी प्रमुखने लाभ तो न थाय पण नुकशान थाय. ६६ प्रश्नः-आ लोक उपर लोकनी वांछा रही छे ने तप प्रमुख करे ते ने लाभ शी रीते थाय ? वली उपदेशमालानी गाथा ३२५ मीमां कडं छे जे अज्ञानी तप करे ते निष्फल थाय. वास्ते केम ? उत्तरः-मुख्य वत्तिए पा लोक परलोकनी वांछाए तपश्चर्या विगेरे क.. रवाथी संसार वधारे, पण प्रथम तो आ लोकनी वांछाए करे पण उत्तम . पुरुषनी संगत होय तो तेथी कोइने लाभ पण थाय छे. जेम के संप्रति Scanned by CamScanner
SR No.034080
Book TitlePrashnottar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand Malukchand Sheth
PublisherJain Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1906
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size135 MB
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