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________________ ( 5 ) ॥ ॐ नमो नारणस्स ॥ ॥ ॐ नमो दंसणस्स ।। ।। ॐ नमो चारितस्स ॥ ॥ ॐ ह्रीं त्रेलोक्य वशंकरी ॥ ।। ह्रीं स्वाहा ।। २० ।। कार्य सकली करण करके इस मन्त्र को साध्य करने बाद जलादि मन्त्रित करके पीलाने से प्रयोजन सिद्ध होता है । लेकिन के हेतु यह मन्त्र काम में न लिया जाय समकितवन्त प्राणी को कार्य की तरफ ही दृष्टि रखना चाहिए । Scanned by CamScanner || वशीकरण मन्त्र (३) ।। ॥ ॐ ह्रीं नमो लोए सव्व साहूणं ।। २१ ।। इस मन्त्र को सिद्ध कर उत्तर क्रिया में ए ह्रीं के साथ जाप्य करके वस्त्रे ग्रन्थी देता जाय और ।। १०८ ।। बार ग्रन्थी को शिला - पर फटकारता जाय तो कार्य सिद्ध होता है । वस्त्र नया और शुद्ध होना चाहिये । || बन्दीगृह मुक्त मन्त्र ॥ 1 || हुसाव्वस एलोमोर ॥ || गंयाज्भावउ मोरण | || गंयारियआ मोरण || ॥ द्धासि मौर ॥ ॥ संतारित्र मोरण || २२ ॥
SR No.034079
Book TitleNamaskar Mantrodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaychandravijay
PublisherSaujanya Seva Sangh
Publication Year
Total Pages50
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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