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________________ (&) इस मन्त्र को विपर्यास कहते हैं, इसको सिद्ध करने बाद जाप किया जाय तो बन्दी खाने से तत्काल मुक्त होता है । चित्त स्थिर रख कर जाप्य करे तो सिद्धि होती है ॥ सङ्कटमोचन मन्त्र ॥ ॥ ॐ ह्रीं नमो अरिहन्ताणं ॥ ॥ ॐ ह्रीं नमो सिद्धाणं ॥ ॥ ॐ ह्रीं नमो आयरियाणं ।। ॥ ॐ ह्रीं नमो उवज्झायाणं ।। ॥ ॐ ह्रीं नमो लोए सव्व साहूणं ॥ इस मन्त्र का साढ़े बारह हजार जाप्य करे और बाद में नवाक्षरी मन्त्र का जाप करे सो बताते हैं । || || नवाक्षरी मन्त्र ||T FITT ॐ ह्रीं नमः श्रहं क्षीं स्वाहा ॥ २४ ॥ इस मन्त्र का उच्चार रहित जाप करे तो दुष्ट, तस्कर आदि भय मिट जाता है, और अनावृष्टि अथवा प्रतिवृष्टि में भी इस मन्त्र का उपयोग करे तो चमत्कार बताने वाला है । महा भय के समय या मार्ग में चोरादि भय निवार्ण के लिये इसका जाप्य करता जाय और चारों दिशा में फूंक देता जाय तो भय मिट जाता है । ॥ सर्व सिद्धि मन्त्र ॥ 11 ॐ अरिहन्त सिद्ध प्रायरिय उवज्झायः सव्वसाहू, सव्वधम्मतिथ्यय राणं, ॐ नमो भगवइए, सुयदेवयाए, संति देवयाणं, सव्वं पवयंरण देवाणं, पञ्चलोगपालाणं ॐ ह्रीं अरिहन्त देवं नमः ।।२५।। 1 Scanned by CamScanner
SR No.034079
Book TitleNamaskar Mantrodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaychandravijay
PublisherSaujanya Seva Sangh
Publication Year
Total Pages50
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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