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________________ ॥ विद्याध्ययन मन्त्र ।। अरिहन्त सिद्ध पायरिय, उवज्झाय सव्व साहू ॥३४॥ इस मन्त्र का जाप करने से विद्याध्ययन में सहायता मिलती है । द्रव्य प्राप्ती व सुख के करने वाला है । ॥आत्मचक्षु परचक्षु रक्षा मंत्र ॥ ___ॐ ह्रीं नमो अरिहन्ताणं पादौ रक्ष रक्ष, ॐ ह्रीं नमो सिद्धाणं कटिं रक्ष रक्ष, ॐ ह्रीं नमो पायरियाणं नाभि रक्ष रक्ष, ॐ ह्रीं नमो उक्झायाणं हृदयं रक्ष रक्ष, ॐ ह्रीं नमो लोए । सव्वसाहूरणं ब्रह्माण्डं रक्ष रक्ष, ॐ . ह्रीं एसो पञ्च नमुक्कारो शिखां रक्ष रक्ष, ॐ ह्रीं सव्वपावप्पणासपो प्रासनं रक्ष रक्ष, ॐ ह्रीं मङ्गलाणंच . . . सम्बेसिपढमं हवइ मङ्गलं ॥३॥ इस मन्त्र की सिद्धि प्राप्त करने बाद इक्कीस बार जाप करने से कार्य सिद्ध हो जाता है । इसका विशेष स्पष्टीकरण गुरुगम से जानना चाहिये। । पथिक भयहर मन्त्र ।। - ॐ नमो मरिहन्ताणं नाभौ - ॐ नमो सिद्धाणं हृदये,... । ॐ नमो पायरियाणं कण्ठे, . ......... Scanned by CamScanner
SR No.034079
Book TitleNamaskar Mantrodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaychandravijay
PublisherSaujanya Seva Sangh
Publication Year
Total Pages50
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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