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________________ 周 27 फ्र परम श्रेष्ठ आकार स्वरुप में देवलोक में शाश्वतरूपमें स्थित एवं आगमो में दर्शनीय रूप में परम सन्माननीय कहे गए अष्टमंगलों का पर्युषणा पर्व इत्यादि जैसे पवित्र महान दिनों में संघोपक्रमे सकल श्रीसंघ को दर्शन करनाकराना वो जीवन का अहोभाग्य है। ये सर्वश्रेष्ठ मंगल, अपने जीवन को धर्म मंगलमय बनाने में कारणरूप बनें रहें, ऐसी शुभ भावना से उपचार स्वरुप उसके प्रति निर्मल सुगंधमय जल और चंदन का छिड़काव करें, पुष्प इत्यादि की माला पहनाएँ, धूप करें और जीवन को धन्य बनाएँ । 4601869
SR No.034073
Book TitleAshtmangal Aishwarya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysundarsuri, Saumyaratnavijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2016
Total Pages40
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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