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________________ २२४ मैं रहती थी तू रहती थी. वह रहती थी भाषाभास्कर में रहता होऊंगा तू रहता होगा वह रहता होगा में रहूं तू रह वह रहे कर्त्ता - स्त्रीलिङ्ग में रहती होऊंगी तू रहती होवेगी वह रहती होवेगी तू रहे वह रहे Scanned by CamScanner संदिग्धवर्त्तमान काल । कती - पुल्लिङ्ग आदरपूर्वक विधि | रहिये हम रहती थीं तुम रहती थीं वे रहती थीं में रहूंगा कर्त्ता - स्त्रीलिङ्ग जिन कालों की क्रिया धातु से निकलती हैं उन्हें लिखते हैं ॥ १ विधि क्रिया । कती - पुल्लिङ्ग वा स्त्रीलिङ्ग हम रहते हेावेंगे तुम रहते होगे वा हे गे रहते हेावेंगे वा होंगे वे हम रहती होगी तुम रहती होगी वा होगी वे रहती होवेंगी २ संभाव्य भविष्यत काल । कती - पुल्लिङ्ग वा स्त्रीलिङ्ग हम रहें तुम रहो वे रहें परोक्ष विधि | रहिये। । हम रहे तुम रहो वे रहे ३ सामान्यभविष्यत काल । कती - पुल्लिङ्ग १८ हम रहेंगे
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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