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________________ ४८ भाषाभास्कर १ सामान्यभत क ल की क्रिया से क्रिया की पूर्णता तो समझी जाती हे परंतु भूतकाल की विशेषता बोधित नहीं होती। __ २ पूर्णभूत उसे कहते हैं जिस से क्रिया की पूर्णता और भतकाल का दरता दोनों समझी जाती हैं। ___३ आसन्नभूत से क्रिया की पूर्णता और भूतकाल की निकटता भी जानी जाती है ॥ ४ संदिग्धभत से भतकालिक क्रिया का संदेह समझा जाता है। ५ अपूर्णभूत काल की क्रिया से भतकाल तो पाया जाता है परंतु क्रिया की पूर्णता पाई नहीं जाती ॥ ६ हेतुहेतुमद्धत क्रिया उसे कहते हैं जिस में कार्य और कारण का फल भतकाल का होता है। ___ १६८ वर्तमानकाल की क्रिया के दो भेट हैं अर्थात सामान्यवर्तमान और संदिग्धवर्तमान । सामान्यवर्तमान क्रिया से जाना जाता है कि कता क्रिया को उसी समय कर रहा है। संदिग्धवर्तमान से वर्तमानकालिक क्रिया का संदेह समझा जाता है। __q8 भविष्यतकालिक क्रिया की दो अवस्था होती है अर्थात सामान्यभविष्यत और संभाव्यभविष्यत । सामान्यभविष्यत क्रिया का अर्थ उक्त हुआ है। संभाव्यभविष्यत की क्रिया से भविष्यत काल और किसी बात की चाह जानी जाती है। ___ २०० क्रिया के दो भेद और भी हैं एक विधि दूसरी पूर्वकालिक किया। विधि क्रिया उसे कहते हैं जिस से आज्ञा समझी जाती है। पर्वकालिक क्रिया से लिङ्ग वचन और पुरुष का बोध नहीं होता और उसका काल दूसरी क्रिया से प्रकाशित होता है ॥ क्रिया के संपर्ण रूप के विषय में । २०१ कह आये हैं कि क्रिया के साधारण रूप के ना कः लोप करके जो शेष रहता हे सो क्रिया का धातु है और क्रिया के समस्त रूपों में धातु निरन्तर अटल रहता है। अब ये दो बातें चेत रखना चाहिये । १ क्रिया के धातु के अन्त में ता कर देने से हेतुहेतुमदत क्रिया बनती है। जैसे धातु खाल और हेतुहेतुमद्धत है खोलता । canned by CamScanner
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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