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________________ माषाभास्कर किसान गेहं बोवेगा गेहूं बोया जायगा लड़की पढ़ती थी लड़की पढ़ाई जाती थी। घोड़े घास खाते हैं घोड़े से घास खाई जाती है ॥ १६२ ध्यान रखना चाहिये कि यदि कर्मप्रधान क्रिया के संग की की आवश्यकता होवे तो उसे करण कारक के चिन्ह के साथ लगा दो। जेसे रावण राम से मारा गया लड़के से रोटियां नहीं खाई गई हम से तुम्हारी बात नहीं सुनी जाती ॥ __१६३ समझ रक्खो कि जैसे कर्तप्रधान क्रिया के साथ कता का होना आवश्यक है वैसा ही कर्मप्रधान क्रिया के संग कर्म भी अवश्य रहता है परंतु जहां अकर्मक क्रिया का रूप कर्मप्रधान क्रिया के समान मिले वहां उसे भावप्रधान जाना ॥ __१६४ इस से यह बात सिद्ध हुई कि जब प्रत्यय कती में होता तो कर्त्ता प्रधान होता है और जब कर्म में होता है तब कर्म। इसी रीति से भाव में जब प्रत्यय आता है तो भाव ही प्रधान हो जाता है। जेसे रात भर किसी से नहीं जागा जाता बिना बोले तुम से नहीं रहा जाता बिना काम किसी से बेठा जाता है इत्यादि ॥ १६५ धातु के अर्थ को भाव कहते हैं हिन्दी भाषा में भावप्रधान क्रिया कम आती है और प्रायः उसका प्रयोग नहीं शब्द के साथ बोला जाता है॥ ___१६६ क्रिया के करने में जो समय लगता है उसे काल कहते हैं उसके मुख्य भाग तीन हैं अर्थात भूत वर्तमान और भविष्यत । भतकालिक क्रिया उसे कहते हैं जिसकी समाप्ति हो चुकी हो अर्थात जिस में आरम्भ और समाग्नि दोनों पाई जायं । जैसे तुमने कहा मैंने सुना है। वर्तमानकालिक क्रिया वह कहाती है जिसका आरम्म हो चुका हो परंतु समाप्ति न हुई हो। जैसे वे खेलते हैं मैं देखता हूं। भविष्यत कात्न की क्रिया का लक्षण यह है कि जिसका आरम्य न हुआ हो । जैसे में पढुंगा तुम सुनोगे इत्यादि ॥ “१६० छः प्रकार की भूतकालिक क्रिया होती हैं अर्थात सामान्यभत पूर्णभूत अासन्नभूत संदिग्धभूत अपूर्णभूत और हेतुहेतुमद्धत ॥ - Scanned by CamScanner
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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