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________________ कारक । कती कर्म करण सम्प्रदान अपादान सम्बन्ध अधिकरण रम्बोधन है और शेष बष्टुवचन में आ को श्र आदेश करके फिर विभक्ति लाते हैं । यथा १४३ आकारान्त पुल्लिङ्ग घोड़ा शब्द | कारक । कर्ता कर्म करण सम्प्रदान अपादान सम्बन्ध अधिकरण सम्बोधन भाषाभास्कर एकवचन । घोड़ा वा घोड़े ने घोड़े को घोड़े से घोड़े का घोड़े से Scanned by CamScanner घोड़े का—ओ—की घोड़े में हे घोड़े बहुवचन | घोड़े वा घोड़ों ने घोड़ों का 99 घोड़ों से घोड़ों को घोड़ों से घोड़ों का - के-की घोडों में हे घोड़ो ॥ १४४ विशेषता यह है कि यदि संस्कृत आकारान्त पुल्लिङ्ग वा स्त्रीलिङ्ग शब्द हो वैसे आत्मा कती युवा राजा वक्ता श्रोता क्रिया संज्ञा आदि तो उसके रूपों में कुछ विकार नहीं होता परंतु बहुवचन में अंत्य आकार से परे न कर देते हैं । जैसे संस्कृत आकारान्त राजा शब्द । एकवचन । बहुवचन । राजा वा राजा ने राजा वा राजाओं ने राजा को राजाओं को राजा से राजाओं से राजा को राजाओं के राजा से रानाओं से राजा का - केकी राजाओं का -केराजाओं में राजा में हे राजा हे राजाओ ॥ १४५ यदि व्यक्तिवाचक वा सम्बन्धवाचक आकारान्त पुल्लिङ्ग शब्द हो जैसे मन्ना मोहना रामा काका दादा पिता आदि तो उसकी कारकरचना हिन्दी अथवा संस्कृत श्राकारान्त पुल्लिङ्ग शब्द के समान दोनों रीति पर हुआ करती है । नेवे
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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