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________________ भाषाभास्कर 24_asaina | महा + इन्द्र = महेन्द्र महा + ईश = महेश हित + उपदेश= हितोपदे। जल + कर्मि = जलार्म महा + उत्सव = महोत्सव गंगा + ऊर्मि = गंगार्मि हिम + ऋतु = हिमतु महा + मषि = महर्षि ३ वृद्धि। ६१ हस्व अथवा दीर्घ अकार से परे ए ऐ ओ वा औ रहे तो अ ए वा अ ऐ मिलकर ऐ और अओ वा भी मिलकर औ होता है। इस विकार को वृद्धि कहते हैं । उदाहरण चक्र में देख लो । उदाहरण असिद्ध मंद्धि सिद्ध संधि | यदि पर्व पद के पांती का स्वर हो और पर पद के 44444 | अंत में पहिली पांती का स्वर हो तो दोनों मिलकर स्वर होता है salal alu तीसरी पांती का एक + एक = एकेक परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य तथा + एव = तथेव महा + ऐश्वर्य = महेश्वर्य सुन्दर + ओदन = सन्दीदन महा + ओषधि= महोषधि परम + औषध = परमौषध महा + औदार्य = महादार्य | Scanned by CamScanner
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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