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________________ यदि पर्व पद के अंत में पहिली पांती का स्वर हो आ आ for foot उ ऊ ट यदि पर्व पद अंत में पहिली पंक्ति का स्वर हा और पर पद के आदि में दूसरी पांती का स्वर होवे अ FFFF Scanned by CamScanner श्रा श्र ho Mo he h 16 m ऊ उ भाषाभास्कर तो दोनों मिलकर तीसरी पांती का स्वर हो जायगा और पर पद क आदि में दूसरी पंक्ति का स्वर है। वे for tr आ आ आ श्रा ऊ ऊ ऊ ॠ दोनों मिलकर तीसरी पंक्ति का स्वर हो जायगा ए रा उदाहरण 2 असिद्ध संधि परम + अर्थ = देव + आलय = विद्या + अर्थो सिद्ध संधि विद्या + आलय = प्रति + इति अधि + ईश्वर मही + इन्द्र नदी + ईश विधु + उदय लघु + ऊर्मि स्वयंभू+ उदय मातृ + ऋद्धि = प्रतीति = २ गुण । €0 ह्रस्व अथवा दीर्घ अकार से परे ह्रस्व वा दीर्घ इ उ ऋ रहें तो अ इ मिलकर ए और उ मिलकर ओ अ ऋ मिलकर अर होता है । इसी कहते हैं । नीचे के चक्र में इनके उदाहरण लिखे हैं ॥ विकार को गुण उदाहरण| = परमार्थ देवालय विद्यार्थी विद्यालय = = नदीश = = = अधीश्वर महीन्द्र विधूदय लघुि स्वयंभूदय मातृद्धि असिद्ध संधि सिद्ध संधि देव + इन्द्र = देवेन्द्र परम + ईश्वर = परमेश्वर
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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