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________________ भाषाभास्कर ५६ (१२) एक नगण और नगण और एक नगा और एक गुरु का अमृतगति छन्द होता है ॥ ४० हरि हरि केशव कहिये सुरसरि तीर जाहिये ॥ (५३) एक रगण और एक नगण और एक भगण और दो गुरु का सुपथ छन्द होता है॥ ठ. वासुदेव वसुदेव सहायी श्रीनिवाम हरि जय यदुरायी ॥ (५४) तीन भगण और दे लघु का नीलस्वप छन्द होता है । उ० गोबिद गोकुल गाय सहायो माधा मोहन श्री यदुरायी ॥ [५५) एक नगण और दो जगण और एक लघु और एक गुरु का सुमुखी छन्द होता है । ७ हरि हरि केशव कृष्णा कहो निश दिन संगति साधु गहो । • (५६) तीन नगण और एक लघु और एक गुरु का दमनक छन्द होता है ॥ 60 अमल कमल दल नयनं जलनिधि जलकृत शयनं ॥ (५०) एक रगण और एक जगण और एक रगण और एक लघु और ____ एक गुरु का श्योनिका छन्द होता है । उ० कृष्ण कृष्ण केशिकंस कन्दना देहु सुखम्व नन्दनन्दना । (५८) तीन मगण और दो गुरु का मालती छन्द होता है ॥ उ० रामा कृणा गायिये कन्ता केसी कहिये श्री अनन्ता ॥ (५६) दो तगण और एक जगण और दो गुरु का इन्द्रवज्रा छन्द ___ होता है । 3. गोविन्द गोपाल कृपाल कृष्णा माधो मुरारी ब्रजनाय विष्णा ॥ (६०) एक जगण और एक तगण और एक जगण और दो गुरु का उपेन्द्रवज्रा छन्द होता है । १० गुपाल गोविन्द मुरारी माधो रामेश नार यगा साध साधा ॥ (६१) एक रगण और एक नगण और एक भगण और दो गुरु का ___ठपजाति छन्द होता है ॥ 3. राम राम रघुनन्दन देवा बीरभद्र मन मानह सेवा । (६२) चार यगण का भुजंगप्रयात छन्द होता हे ॥ Scanned by CamScanner
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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