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________________ ૧૧૨ भाषाभस्कर (१५) एक जगण और एक गुरु का नगानका छन्द होना है। 80 करो चितें न चंचले . (१६) एक नगण और एक गुरु का सती छन्द होता है। 30 छल तजे सख लहे॥ (१०) एक मगण और दो गुरु का सम्मोहा छन्द होता है। उ० श्रीराधा माधो अराधो साधो ॥ (१८) एक तगण और दो गुरु का हारित छन्द होता है। गोरी भवानी ने ने मृडानी। (१६) एक भगण और दो गुरु का हंसी छन्द होता है । 30 मोहन माधो गाबहु साधो ॥ (२०) एक नगण और दो लघु का जमक छन्द होता है। ४० मरण जग धरण नग॥ (२१) दो मगण का शेषराज छन्द होता है । 60 गोविन्द। गोपाला केशीकंसा काला । (२२) दो सगण का डिल्ल छन्द होता है । ७० प्रभु सो कहिये दुख में हरिये ॥ (२३) दो जंगण का मातली छन्द होता है ॥ गुविन्द गोपाल कृपाल दयाल ॥ (९४) एक तगण और एक यगण का तनमध्या छन्द होता है। ठ० मा हिय कलेशा टारो करि वेशा ॥ (२५) एक नगण और एक यगण का शशिवदना छन्द होता है। । 30 हरि हरि केशो सुभग सुवेशो॥ *(२४) एक तगण और एक सगण का वसुमती छन्द होत है। , 30 गोपाल कहिये आनन्द लहिये । (२०) दो रगण का विमोहा छन्द होता है। ४० देवकीनन्दनं भक्त भी भंजनं । (२) एक रगण और एक यगण और एक गुरु का प्रमाणिका छन्द होता है। 8. राम राम गाईये .मलोक पाईये । 0 Scanned by CamScanner
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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