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________________ ? ८ भाषाभास्कर रामवृत्तलक्षण समवृत्त का उदाहरण अर्धसमवृत्तलक्षण ११ १२ १३ पह विषमवृत्तलक्षण विषमवृत्त का उदाहरण गगणागणविचार ६. १० अर्धसमवृत्त का उदाहरण ग्रन्थ के अनुसार जो छन्द जितनी मात्रा का होता है और उस आदि अन्त वा मध्य में जितने गुरु वा लघु लिखने की विधि है उसी क्रम से अब हम पहिले कुछ मात्रावृत्त लिखते हैं ऊपर उनका लक्ष और नीचे उदाहरण मिलेगा ॥ पहिले बड़े बड़े छन्दों के। लिखते हैं फिर पीछे से छोटे छोटे भी लिखे जायेंगे ॥ ३१ मात्रा का सवैया छन्द | (2) ३१ मात्रा का सवैया छन्द होता है उस में आदि अन्त में गुरु लघु का नियम नहीं । जैसे अरब खरब तो लाभ अधिक नहं तिि लये देवैया राजी ऐसेा राम नाम का से दा निसि दिन मोह वस दोर नकर Scanned by CamScanner बिन हर हासिल लाद पलान और हि दये न अपने । जान ! तोहि न भावत मूढ़ अजान ॥ करत सवैया जनम सिरान । सोलह मात्रा का छन्द | (२) चतुष्पदाछन्द उसे कहते हैं जिस में १६ मात्रा हों और उसके आदि अन्त में गुरु लघु का नियम नहीं ॥ उदाहरण ॥ चामवंत के बचन सुहाये तब लग परिखेहु तुम मे हि भाई सुनि हनुमन्त हृदय प्रति भाये । सहि दुख कंद मूल फल खाई अड़तालिस मात्रा का सेारठा छन्द | (1) इसके पहले और तीसरे में ग्यारह और चौथे दूसरे में तेरह ॥ ॥ उ० ॥ जैसे मुक्तिजन्म महि जानि ज्ञान खानि अघ हानिकर । जहं बस संभु भवानि से। कासी सेहय कस न ॥ दोहा कन्द उम्री पेठा के उलटने से दोहा बन जाता है ॥ १
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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