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________________ जाते हैं!' चार डिग्री पूरी होने पर परमात्मा बन जाएँगे। कोई एक महीने पहले कलेक्टर बना है और कोई बीस साल से कलेक्टर है। दोनों की पोस्ट एक सरीखी ही कही जाएगी। दोनों ही कमिश्नर बनेंगे लेकिन फिर भी एक सरीखा नहीं कहा जाएगा। 20 साल वाला कल जाकर कमिश्नर बन जाएगा जबकि एक महीने वाले को काफी समय लगेगा ! दादाश्री कहते हैं कि 'हमें केवलज्ञान की कोई जल्दी नहीं है ! इस काल में उसकी परीक्षा ही नहीं ली जाती तो फिर मुझे उसकी तैयारी करने की क्या ज़रूरत है ? क्यों न मैं जगत् कल्याण करूँ !' इसमें दादाश्री की जगत् कल्याण करने की कितनी उत्कृष्ठ भावना है ! इस जगत् में ऐसे ज्ञानी का संयोग मिलना दुर्लभ है। सभी कुछ मिलेगा लेकिन यह नहीं मिलेगा। जहाँ ब्रह्मांड के भगवान प्रकट हुए हैं, उनसे संबंध जोड़कर काम निकाल लो ! मैं, बावा और मंगलदास । ऐसे तीन भेद दादाश्री ने क्यों दिए ? वर्ना इस दूषमकाल के लोग दादा भगवान और अंबालाल, इन दोनों में भेद नहीं समझ पाएँगे और हर बात पर शंका करेंगे, और बल्कि उनका बिगड़ जाएगा! इसलिए विशेष विवरण करके संपूर्ण क्लेरिटी दी है ताकि कभी भी लोगों को उलझन पैदा न हो ! मैं, बावा और मंगलदास का गुह्य रहस्य दादा श्री ने पहली बार ही खोला, 1987 में अमरीका में ! और कहा था कि " यह अंतिम ज्ञान आपको दे रहा हूँ। अब इससे आगे कुछ भी जानना बाकी नहीं रहता। यदि एक्ज़ेक्ट 'मैं', बावो और मंगलदास की जागृति में रहोगे तो ज्ञानी की तरह, हमारी तरह रह सकोगे ! " ऐसा गुह्य रहस्य किसी भी शास्त्र में नहीं बताया गया है। दादाश्री कहते हैं कि इस रहस्य को बताने के लिए... हम इसलिए रह गए कि इस काल की वजह से हमारी पूर्णाहुति नहीं हुई। वर्ना पूर्ण पद वाले तो कुछ कहे बिना ही मोक्ष में चले जाते हैं ! दादाश्री खुद की आंतरिक आत्मिक दशा का वर्णन करते हुए बताते हैं कि 'हम संपूर्ण 360 डिग्री की दशा में रहते हैं! और दर्शन होते हैं 356 डिग्री की दशा के ! इसलिए दर्शन करने वाले को बहुत फायदा होता है । ऐसे दर्शन कहाँ से मिलेंगे ?' 74
SR No.034041
Book TitleAptvani 13 Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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