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________________ [३] मैला करे वह भी पुद्गल, साफ करे वह भी पुद्गल है देते हैं, शब्द भी पुद्गल हैं । मैला भी खुद करता है, साबुन भी खुद और कपड़ा भी खुद है और अंत में खुद ही स्वच्छ हो जाता है। १९९ दादा करते हैं सीधा खुलासा ऐसा कहने वाले सिर्फ ये दादा ही मिले हैं दूसरा कोई नहीं मिलेगा। प्रश्नकर्ता : ये दादा के सीधे खुलासे हैं । दादाश्री : लेकिन इसे समझने में बहुत देर लगेगी। प्रश्नकर्ता : वह तो, अंतिम बात तो अलग ही है ! दादाश्री : ये शब्द तो वही के वही हैं, लेकिन यह अंतिम बात है! यह पद्धति और तरीका एक ही वाक्य में आ सकें ऐसा नहीं है । मैं समझ गया हूँ और एक्ज़ेक्ट उसी तरह से यह बता रहा हूँ । बैठे-बैठे देखकर और वह आपके समझने के लिए बता रहा हूँ। यह तो, मैं जो देख चुका हूँ, वही आपको बता रहा हूँ । अतः वह सब पोइन्ट्स को भली-भांति समझते हैं लेकिन अभी तो अंदर बहुत कुछ समझना बाकी है, काफी कुछ बाकी है। ज्ञान की खान में से अनमोल रतन कभी-कभी बात निकल जाती है, बहुत नोट करने योग्य बात होती है । यों लगती है एकदम सरल सीधी लेकिन यह बात नोट करने जैसी होती है। तब हम भी कहते हैं कि इस रत्न की खान में से यह बहुत कीमती रत्न निकला । प्रश्नकर्ता : हाँ, दादा! बहुत सुंदर बात कही । सारी उलझनें ही निकल गई। आजकल जो आपकी वाणी निकलती है न, वे बातें एकदम से जुदा रखने की ही बातें होती हैं और अंतिम साइन्स की बातें। दादाश्री : हाँ, अंतिम । प्रश्नकर्ता : अहंकार का स्थान, उत्पत्ति, किस प्रकार से अलग
SR No.034041
Book TitleAptvani 13 Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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