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________________ [२.५] वीतरागता १६७ कह सकते। उससे वीतरागों की डिवेल्युएशन हो जाएगी। वीतराग नहीं कह सकते। वर्ना यदि ऐसा समझ जाएँ कि वीतराग हैं, तो हो चुका। बात ही खत्म! यह टेपरिकॉर्ड अगर गालियाँ दे तो? रिकॉर्ड गालियाँ दे कि, 'चंदू तू चोर है, चंदू तू चोर है, चंदू तू चोर है' तो क्या करेगा? प्रश्नकर्ता : रिकॉर्ड है इसलिए फिर हँसना आएगा। दादाश्री : यह भी रिकॉर्ड ही है लेकिन तू मान बैठा है कि इसने कहा और कहने वाला भी मान बैठा है कि मैंने कहा। ऐसा है न, इन सब बातों का बहुत खुलासा करने जैसा नहीं है। अतिशय खुलासा करेंगे तो फिर वैराग्य आ जाएगा। क्या आ जाएगा? प्रश्नकर्ता : वैराग्य लाने में बाकी क्या रखा है ? दादाश्री : कुछ भी बाकी नहीं रखा लेकिन फिर भी थोड़ा-बहुत बचा हो तो रहने देना है न! आपको अभी रास्ते चलते अगर कोई कहे कि, 'आप नालायक हो, चोर हो, बदमाश हो', इस तरह से गालियाँ दे और आपको वीतरागता रहे तो जानना कि इस बारे में उस हद तक आप भगवान हो गए। जिसजिस बारे में आप जीत गए, उस-उस बारे में आप भगवान बन गए। और यदि आपने जगत् को जीत लिया तो फिर पूर्ण भगवान बन गए। फिर किसी से भी मतभेद नहीं होगा। ___ मुक्त छोड़ दे तेरे शरीर को सभी बातचीत वगैरह हों लेकिन राग-द्वेष नहीं होने चाहिए। देह को मुक्त छोड़ दो जैसे हम लटू को घुमाते हैं और फिर वह अपने आप ही घूमता रहता है, खुला छोड़ दो। तब फिर राग-द्वेष नहीं होंगे न! 'मैं' और 'मेरा' चला जाएगा तो राग-द्वेष चले जाएंगे। 'मैं' और 'मेरा' के जाते ही वीतद्वेषी हो जाएगा। फिर वह जब समभाव से फाइलों का निकाल करेगा न, तब वह वीतराग हो जाएगा।
SR No.034041
Book TitleAptvani 13 Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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