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________________ भेदज्ञान और प्रज्ञा में क्या फर्क है ? दोनों लाइट हैं। ज्ञानीपुरुष के माध्यम से भेदज्ञान रियल-रिलेटिव में भेद डाल देता है और प्रज्ञा की लाइट टेम्परेरी परमानेन्ट है। मोक्ष में जाने तक प्रज्ञा लाइट देती है। प्रज्ञा का ज़ोर किस चीज़ से बढ़ता है ? पाँच आज्ञा का पालन करने पर प्रज्ञा उत्पन्न होती है। 'मैं शुद्धात्मा हूँ' जो यह कहता है, वह टेपरिकॉर्डर है लेकिन उसके पीछे भाव प्रज्ञा का है। जो प्रकृति को जानता है और प्रकृति के आधार पर चलता है, वह कौन है ? अहंकार! खुद को जानता है और खुद के आधार पर चलता है, वह कौन है ? प्रज्ञा। प्रज्ञा और जागृति में क्या फर्क है ? प्रज्ञा आत्मा की प्योर शक्ति है और जागृति प्योरिटी और इम्पयोरिटी का मिक्स्चर है। जब जागृति सौ प्रतिशत प्योर हो जाती है तब केवलज्ञान होता है। तब प्रज्ञा खत्म हो जाती है। मोक्ष के लिए किस चीज़ की अधिक ज़रूरत है ? जागृति या प्रज्ञा की? दोनों की। प्रज्ञा मोक्ष की तरफ मोड़ती रहती है और जागृति उसे पकड़ लेती है। अज्ञाशक्ति का मूल क्या है? जड़ और चेतन दोनों के इकट्ठे होने से अज्ञाशक्ति उत्पन्न हो गई और दोनों के अलग होने पर खत्म हो जाएगी। दादाश्री में भी प्रज्ञा है? हाँ, है। वह कैसी होती है ? सामने वाले को मोक्ष में ले जाने के लिए दादाश्री से खटपट कौन करवाता है ? वह प्रज्ञा है! खटपट वाली प्रज्ञा! प्रज्ञा न हो तो कोई खटपट करने वाला रहेगा ही नहीं न! 'दादा भगवान' की कृपा और ज्ञानी की कृपा में क्या फर्क है? 'दादा भगवान' की कृपा उतरने के बाद तो ज्ञानी को कोई झंझट ही नहीं रहती न! 'दादा भगवान' की कृपा प्रज्ञा के माध्यम से उतरती है। जगत् कल्याण का काम करवाने वाली प्रज्ञा है और उसमें अहंकार निमित्त बनता है। 22
SR No.034041
Book TitleAptvani 13 Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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