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________________ जो संसार में सतर्क वह मोक्ष के लिए असतर्क। संसार में सतर्कता यानी संसार का आधार! __नोंध करने की प्रकृति को खत्म करने के लिए अक्रम विज्ञान क्या कहता है ? कि यह नोंध, प्रकृति करती है, उसे हमें जानना है। प्रकृति नोंध करे तो उसमें हर्ज नहीं है, लेकिन यदि उसके साथ अपनी सहमति खत्म हो जाए तो नोंध खत्म हो जाएगी। नोंध करने की आदत विज्ञान के बिना नहीं छूट सकती। सांसारिक स्वभाव तो मरना पसंद करता है लेकिन नोंध छोड़ना पसंद नहीं करता। जहाँ निरंतर कर्मों का उदय और अस्त होता है, ऐसे बदलते हुए कर्मों की नोंध क्यों की जाए? नोंध किस प्रकार से हो जाती है? किसी भी निमित्त से खुद को थोड़ी सी भी अरुचि या रुचि हो जाए तो, उसकी नोंध हो ही जाती है। लेकिन अगर वहाँ पर उस निमित्त के लिए नोंध न रहे तो वह पुरुषार्थ मोक्ष प्राप्त करवाएगा। जब नोंध होती है, तब खुद पुद्गल में तन्मयाकार हो ही जाता है। फिर सत्ता भी पुद्गल की ही रहती है। खुद की स्व-सत्ता वहाँ आवृत्त हो जाती है। नोंध लेने से मन उसके प्रति डंकीला हो जाता है और जिसका नोंध करना बंध हो जाए तो ऐसा माना जाएगा कि वह वीतराग दशा की तरफ मुड़ा। ३. कॉमनसेन्स : वेल्डिंग 'इस काल में कॉमनसेन्स को एक ओर रख दिया गया है', वर्तमान ज्ञानीपुरुष बेधड़क ऐसा कहते हैं। _ 'कॉमनसेन्स यानी एवरीव्हेर एप्लिकेबल, थियरिटिकली एज़ वेल एज़ प्रेक्टिकल।' कॉमनसेन्स की यह परिभाषा बिल्कुल मौलिक और अद्भुत है। 21
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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