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________________ सच्चा कौन? सुरसुंदरी और मयणा दोनो पंड़ित के पास अध्ययन पूर्ण करती है । पिता राज सभा में परीक्षा लेते है । संतान क्या पढ़ते है ? इसकी चिंता पिता करते थे, और आज! सुरसुंदरी और मयणा को पादपूर्ति दी जाती है-प्रश्न किया गया हैं'पुण्य से क्या मिलता हैं ?' सुरसुंदरी जल्दी-जल्दी कहती है, 'यौवन, अच्छा सुख, बुद्धि कौशल्य, धन, मनपसंद पति सब पुण्य से मिलता हैं' । धीर, गंभीर, मयणा कहती हैं, 'विनय, विवेक, प्रसन्नता, शील और मोक्षमार्ग के साधन पुण्य से मिलते हैं । दोनो के जवाब अलग-अलग है, तो दोनो में सच्चा कौन ? दोनो के जवाब सच्चे है । एक के जवाब में एक इहलौकिक और भौतिक लाभ की बात है, दूसरे के जवाब में आत्मलक्षी लाभ की बात है । दोनों लाभ पुण्य से ही मिलते है । जिसकी दृष्टि जैसी खिली हो, उसको उसमें आनंद आता है। वाचा के आधार पर सुनने में आने वाले के आचार पर परिणति का अंदाज होता है । हमारी परिणति कैसी है ? भौतिकलक्षी या आध्यात्मिक लक्षी? तप कब पूरा होता है? नवपद की ओली यानि साड़े चार साल में यह तप पूर्ण होता है, ऐसा व्यवहार में कहा जाता है पर 'साड़ा चार वर्षे तप पूरो, ए कर्म विदारण तप शूरो' ज्ञानी भगवंतो के इस वचन अनुसार तप पूरा कब होता है ? प्रथम चरण स्वीकार कर हमने पूर्णविराम लगा दिया, पर महत्वपूर्ण दूसरा चरण छोड़ दिया. अनादिकालीन परंपरा के कर्म तोड़ने का सामर्थ्य आत्मा में प्रगटे श्रीपाल कथा अनुप्रेक्षा
SR No.034035
Book TitleShripal Katha Anupreksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNaychandrasagarsuri
PublisherPurnanand Prakashan
Publication Year2018
Total Pages108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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