SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ | अनुक्रम । प्रकाशकीय प्रस्तावना लेखकीय 1. उंबर (श्रीपाल) गुणदर्शन वर्तमान में जीना सीखो जो स्थिति आए, उसका स्वीकार कर लो वर्तमान योग्यता से अधिक अपेक्षा नहीं रखना योग्यता से अधिक मिल जाए, तो स्वीकार नहीं करना योग्यता से अधिक नहीं स्वीकारने पर भी मिल जाए तो खुश नहीं होना दूसरो के नुकसान से होने वाला फायदा कभी इच्छनीय नहीं गंभीर बनिए, धीर बनिए सती की बात पर न तर्क, न दलील जहाँ श्रद्धा वहाँ सर्वस्व, समर्पण वहाँ चमत्कार प्रभुदर्शन प्रणिधानपूर्वक दर्शन से पापनाश उपादान (योग्यता) शुद्ध करो, उत्थान होगा ही जो भी धर्मक्रिया करनी है, वो योग्य रीति से सीखो सिद्धचक्रजी कब फलते है ? पर से नहीं, स्व से पहचाने जाओ माता के प्रति आदरभाव रखो, सेवा करो SAR XII
SR No.034035
Book TitleShripal Katha Anupreksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNaychandrasagarsuri
PublisherPurnanand Prakashan
Publication Year2018
Total Pages108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy