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________________ श्वास- प्रेक्षा ६६ सकता है, जिससे शरीर के किसी भी प्रकार के अवयव - सम्बन्धी या क्रिया-सम्बन्धी विकार या गड़बड़ी को पूर्णतः ठीक नहीं तो कम-से-कम अंशतः प्रभावित तो किया ही जा सकता है । यद्यपि यह प्राणधारा तीव्र आगन्तुक औपसर्गिक विकारों को पूर्णतः ठीक करने में समर्थ न भी हो, तो भी शरीर की प्रतिकार शक्ति को बलवती बनाने में एवं शरीर को विकारों से मुक्त रखने में निश्चित ही महत्त्वपूर्ण सहयोग प्रदान करती है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण श्वास और जीवन दोनों एकार्थक जैसे हैं। जब तक जीवन तब तक श्वास; जब तक श्वास, तब तक जीवन । श्वास का शरीर और मन के साथ गहरा सम्बन्ध है । यह एक ऐसा सेतु है, जिसके द्वारा नाड़ी - संस्थान, मन और प्राणशक्ति तक पहुंचा जा सकता है। श्वास, शरीर और मन - ये सब प्राण-शक्ति द्वारा संचालित होते हैं । प्राण-शक्ति सूक्ष्म शरीर (तैजस शरीर) द्वारा और सूक्ष्म शरीर अति सूक्ष्म शरीर (कार्मण शरीर ) द्वारा संचालित होता है। अति सूक्ष्म शरीर आत्मा द्वारा संचालित होता है । इसलिए श्वास, शरीर, प्राण और कर्म के स्पन्दनों को देखना आत्मा को देखना है- उस चैतन्य शक्ति को देखना है, जिसके द्वारा प्राण-शक्ति स्पन्दित होती है। प्राण का आहरण श्वास का सम्बन्ध है प्राण से, प्राण का सम्बन्ध पर्याप्ति से अर्थात् सूक्ष्म प्राण से । यह जीवन के पहले ही क्षण में निर्मित हो जाता है। प्राण को भी प्राण चाहिए। वह प्राण आकाश - मण्डल से प्राप्त होता है। सारे आकाश-मण्डल में प्राण चक्र फैला हुआ है। आहार पर्याप्ति के योग्य वर्गणाएं सारे आकाश में फैली हुई हैं। ऊर्जा की या प्राण-शक्ति की वर्गणाएं फैली हुई हैं। वे प्राप्त होती हैं-श्वास के माध्यम से। हम केवल श्वास ही नहीं लेते, उसके साथ प्राण भी लेते हैं। शरीर शास्त्र के अनुसार भी जब हम श्वास लेते हैं, बाहर की हवा भीतर जाती है, जिसमें ऑक्सीजन होता है। कर्म-शास्त्र की भाषा में हम प्राण लेते हैं। श्वास के साथ जाने वाला प्राण उस प्राण को संवर्द्धित करता है, पोषण देता है । जैन आगम भगवती और प्रज्ञापना में यह प्रश्न उपस्थित किया गया है कि जीव कब आहार लेता है और कितनी दिशाओं से आहार लेता है। Scanned by CamScanner
SR No.034030
Book TitlePreksha Dhyan Siddhant Aur Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size80 MB
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