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________________ कायोत्सर्ग ४३ चली गई. जो हस्त- स्पर्श, प्रार्थना आदि के माध्यम से श्रद्धालुओं का उपचार करते थे। आधुनिक युग में फ्रांज मेस्मर नामक आस्ट्रियन डॉक्टर प्रथम व्यक्ति था जिसने व्यवस्थित 'सूचन' के महत्त्व को मान्यता दी और सामूहिक उपचार के लिए उसका प्रयोग किया। इस पद्धति को 'मेस्मरिजम' की संज्ञा दी गई जो विश्व भर में व्याप्त हो गई और आज तक भी एक या दूसरे रूप में प्रचलित ही है। ग्रीक भाषा में नींद के लिए हिप्नोसिस शब्द का उपयोग होता है, जिसका अर्थ सम्मोहन भी होता है । सम्मोहन-विधि के अनेक उपयोग आधुनिक मनश्चिकित्सा के कुछ आधारभूत तत्त्व बन गए हैं। इसका एक महत्त्वपूर्ण सैद्धांतिक परिणाम यह है कि 'प्रस्ताव्यता' (सजेस्टिबिलिटी) हमारे प्रतिदिन के व्यवहार का एक प्राकृतिक, स्वस्थ और सामान्य अंग है, यह बात स्पष्ट हुई। आजकल अधिकाधिक संख्या में सामान्य डॉक्टर एवं मनश्चिकित्सक सुझाव को काम में लेते हैं। I स्वयं-सूचन स्वयं सूचन या स्व- सम्मोहन को हम एक विशेष प्रकार की सुझाव- चिकित्सा कह सकते हैं जिसमें व्यक्ति स्वयं अपने सुझावों के द्वारा अपनी चिकित्सा करता है। कुछ शोधकर्ताओं ने सिद्ध कर दिया है कि सभी प्रकार की 'सुझाव- चिकित्सा' वास्तव में मूलतः स्वयं सूचन (या स्व- सम्मोहन) पर ही आधारित है। इसमें व्यक्ति अपनी क्षमता का विकास कर अपने आप गहरी शिथिलावस्था जैसी स्थिति में जा सकता है और उसके माध्यम से वह अपनी थकान, तनाव और सिरदर्द आदि को कम कर सकता है। स्वयं-सूचना के प्रयोगों को आम जनता तक पहुंचाने का कार्य बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में एमिल कोवे (Emile Coue) नामक फ्रेंच डॉक्टर ने किया। उसके द्वारा प्रदत्त नारे - " दिन दूना और रात चौगना बनता मेरा स्वास्थ्य सौ गुना" ने ऐतिहासिक महत्त्व प्राप्त कर लिया । शिथिलीकरण के प्रयोग के दौरान जो परिवर्तन शरीर में घटित होते हैं, उन्हें मापा जा सकता है। हाल में किए गए अनुशीलनों से यह पता चला है कि इन प्रयोगों के परिणाम स्वरूप निम्नलिखित शारीरिक घटकों में हितकर परिवर्तन घटित होते हैं (9) (2) रक्त का शर्करा स्तर रक्त में श्वेत कणों की संख्या (जो प्रतिरोधात्मक शक्ति के उत्पादक हैं) । Scanned by CamScanner
SR No.034030
Book TitlePreksha Dhyan Siddhant Aur Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size80 MB
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