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________________ प्रेक्षाध्यान सिद्धान्त और प्रयोग १२४ के आभामण्डल निश्चित ढांचे के पाए गए। इन रोगों में मिर्गी, सत्रण रोग मस्तिष्क की गाठ, चेहरे का पक्षाघात जैसी बीमारियां शामिल हैं। दर मशीन के द्वारा बीमारी होने से पूर्व ही उसकी भविष्यवाणी की जा सकती है। इस दृष्टि से यह उपकरण बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। विशेषत कैंसर जैसे रोगों के बारे में पहले से ही उसका पता लगाया जा सकेगा और उसका उपचार कर लेना संभव हो जाएगा। मृत्यु के बाद आभामण्डल मृत व्यक्ति के आभामण्डल के विषय में डॉ. नरेन्द्रन् का कहना है कि मृत्यु के बाद तुरन्त ही आभामण्डल समाप्त नहीं हो जाता। परन्तु जैसे बिजली का हीटर स्विच बन्द कर देने पर धीरे-धीरे दीप्ति-रहित होता जाता है, वैसे ही प्राणी की मृत्यु के बाद आभामण्डल की दीप्ति मन्द होती-होती न्यूनतम स्थिति तक पहुंच जाती है। जब व्यक्ति की हृदय और श्वास की गति बन्द हो जाती है तब शरीर से बाहर "धारियों के रूप में आभामण्डल निकलने लगता है। छह घंटे तक वह चलता रहता है, इसके बाद अवशिष्ट आभा ठीक वैसी हो जाती है, जैसी की पत्थर जैसे निर्जीव पदार्थों के आभामण्डल में पाई जाती है! विदेशों में आभामण्डल पर शोध डॉ. नरेन्द्रन ने बताया है कि सोवियत संघ में आभामंडल के ज्ञान का उपयोग कृषि-कार्य में किया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने पत्तियों की रुग्णता का अध्ययन आभामण्डल के आधार पर किया तथा उनके रोगों के विषय में भविष्यवाणियां कीं। दूसरी ओर अमरीका में उसका उपयोग अतीन्द्रिय ज्ञान के अध्ययन में किया जा रहा है। उदाहरणार्थ, वह क्या शक्ति है, जो कभी-कभी किसी व्यक्ति को उस ट्रेन से यात्रा करने से रोक देती है, जो आगे चलकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है ? डॉ. नरेन्द्रन् के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति के पास अन्तःदर्शन (intuition) की शक्ति है और यदि उसे विकसित किया जा सके तो मनुष्य-जाति के लिए वह अनेक प्रकार से बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है। जैसी दुर्घटना या दुर्घटना से होने वाली मृत्यु से होने वाली मृत्यु के विषय में भविष्यवाणी की जा सकती है। आभामण्डल में दिखाई देने वाले विभिन्न रंगों की व्याख्या इस प्रकार की गई है... Scanned by CamScanner
SR No.034030
Book TitlePreksha Dhyan Siddhant Aur Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size80 MB
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