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________________ 78 अहिंसा दर्शन जन्म से अछूत मानना गलत है। छूआछूत का आचरण गैर धार्मिक है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए। गांधी जी के छुआछूत उन्मूलन आंदोलन का इतना व्यापक असर हुआ कि भारत ने अपने नये संविधान में अस्पृश्यता का अन्त कर दिया। यह मानवता के लिए गाँधी जी की सबसे बड़ी देन थी। 3. श्रम की महिमा गांधी जी ने देखा कि भारत में कामचोरी, प्रमाद और सुविधावाद बढ़ रहा है, जो देश के लिए घातक है। बिना श्रम किये मनुष्य को भोजन करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने गीता की वाणी पढ़ी, जिसमें लिखा है- 'जो व्यक्ति यज्ञ के बिना भोजन करता है वह चोर है। गांधी जी यज्ञ का अर्थ शरीर श्रम लगाते थे। उनके अनुसार शरीर-श्रम का आदर्शरूप खेती था। उनका कहना था कि 'यदि सब अपनी रोटी के लिए खुद मेहनत करें तो ऊँच-नीच का भेद दूर हो जायेगा। जिसे अहिंसा का पालन करना है, सत्य की आराधना करनी है, ब्रह्मचर्य को स्वाभाविक बनाना है, उसके लिए तो कायिक श्रम रामबाण है।' गाँधी जी स्वयं बिना शारीरिक श्रम के भोजन ग्रहण नहीं करते थे। 4. पंचायती राज गाँधी जी गाँवों को बहुत महत्त्व देते थे। उनका मानना था कि भारत जैसे बड़े देश की अधिकांश जनसंख्या गाँवों में बसती है। गाँवों के प्रति उपेक्षा गाँधी जी को सहन नहीं थी। प्राचीनकाल से ही भारत के गाँव अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए सदा स्वाश्रयी रहे हैं। पंचायती राज के द्वारा वे स्वयं ही शासित होकर राष्ट्र के मेरुदण्ड बन सकते हैं। गांधी जी भारत के सात लाख गाँवों को मरणासन्न स्थिति में पहुँचाने के लिए ब्रिटिश सरकार को दोषी मानते थे, जिन्होंने गाँवों की स्वशासित व्यवस्था को समाप्त कर दिया था। गांधी जी का मानना तो यह था कि भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन पर सरल स्वभाव ग्रामीण जनता का प्रभुत्व होना चाहिए। उनकी ग्राम-स्वराज की मान्यता एक पूर्ण-गणराज्य की मान्यता से कम नहीं थी। इसके लिए वे पंचायती राज के प्रबल पक्षधर थे।
SR No.034026
Book TitleAhimsa Darshan Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherLal Bahaddur Shastri Rashtriya Sanskrit Vidyapitham
Publication Year2012
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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