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________________ 164 अहिंसा दर्शन परिवर्तन हो जिसमें विकसित दिखने और कहलाने की अपेक्षा विकसित होने का भाव ज्यादा निहित हो ताकि समाज का उपेक्षित वर्ग इस आधुनिकता से आतंकित न होकर उसे अपने विकास का साधन माने और देश की मूल धारा में सम्मिलित हो सके। समाधान (ङ) पूंजीवाद के आतंक की समस्या को नोबल पुरस्कार प्राप्त अमर्त्यसेन की दृष्टि से समाधान हेतु देखना पड़ेगा क्योंकि उन्होंने अर्थशास्त्र को नैतिकता से जोड़ने वाले विचार हमारे सामने प्रस्तुत किये। वे हमारा ध्यान इस ओर दिलाते हैं कि दुनिया के हर देश में धन पैदा करने वाले सारे फार्मूले एवं तरीके नीतिशास्त्र के अन्तर्गत ही सिखाए जाते थे। पूंजी एकत्र करने का आधार हिंसा के स्थान पर यदि नीति हो तो भय कैसा? समाधान (च) आतंकवाद के सन्दर्भ में जो हिंसा का अभिप्राय है वह समाधान तभी प्राप्त कर सकता है जब मूल जड़ पर चिन्तन किया जाय। यदि मानव मन में हिंसा, विद्रोह के बीज पड़े ही नहीं तब वह अभिव्यक्त रूप में सामने नहीं आयेगी। इसके लिए 'अहिंसा प्रशिक्षण' की नवीन अवधारणा वरदान बन सकती है। छोटे-छोटे बच्चों को प्लास्टिक की बंदूकें खरीद कर देना हिंसा का बीज रोपना ही है। इससे उबरा जाए। ध्यान, योग, इत्यादि के अधिकाधिक प्रशिक्षण दिये जायें जिनसे या तो आत्मा में हिंसा का विभाव उत्पन्न ही न हो या फिर यदि उत्पन्न होता है तो मानव विपरीत परिस्थितियों में भी अपना भावात्मक संतुलन बनाये रखने में सफल हो सके। समाधान (छ) आतंकवादियों के वर्ग में सर्वाधिक संख्या युवकों की है। बेरोजगारी, भ्रष्टाचार इत्यादि समस्याओं से निजात पाने पर युवकों को संभाला जा सकता है। खेल, कला, साहित्य-संस्कृति के अधिकाधिक अवसरों को
SR No.034026
Book TitleAhimsa Darshan Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherLal Bahaddur Shastri Rashtriya Sanskrit Vidyapitham
Publication Year2012
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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