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________________ 136 अहिंसा दर्शन ब्राजील में क्रमश: 919 और 726 है, पाकिस्तान और बांग्लादेश की तुलना में यह गणना सिमटकर 204 और 116 रह गयी है। क्षेत्रफल की दृष्टि से देखें तो भारत की स्थिति पाकिस्तान और बांग्लादेश की तुलना में ही नहीं बल्कि मलेशिया और श्रीलंका की तुलना में भी अत्यंत दयनीय है। मांसाहार में जिन प्राणियों का उपयोग किया जाता है उनमें बकरा, सूअर और मुर्गी ही नहीं, वे असंख्य पक्षी भी हैं जो इकोसिस्टम के संतुलन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पिछले दिनों इनकी संख्या में तेजी से आयी हुई गिरावट को देखते हुए विश्व के जाने-माने वैज्ञानिकों ने विभिन्न देशों की सरकारों को चेतावनी दी है कि अपने यहाँ मांसाहार पर प्रतिबन्ध लगाएं क्योंकि इनसे होने वाला पर्यावरण में असंतुलन किसी एक के लिए नहीं वरन् पूरी मानव जाति के लिए हानिकारक होगा। सहअस्तित्व और पर्यावरण मानव में क्रूरता के साथ अपरिमित करुणा की भी संभावनाएं हैं। वह विकृत होकर विश्व का सबसे अधिक बर्बर और नृशंस प्राणी हो सकता है और सुसंस्कृत होकर करुणा की प्रतिमूर्ति भी बन सकता है। सह अस्तित्व की बात समझे बिना मानव के स्वयं का अस्तित्व भी सुरक्षित नहीं है। यदि मानव अपने अस्तित्व के प्रति सही मायने में जागरूक है तो वह औरों का शोषण नहीं करेगा। अपने सुख के लिए औरों का सुख नहीं छीनेगा, जिससे प्रकृति का संतुलन गड़बड़ाए और प्राकृतिक जीवों को कष्ट हो ऐसे स्वाद, शृंगार और मनोरंजन के लिए मानव अन्य प्राणियों का संहार नहीं करेगा। इस चिन्तन का व्यापक विकास होगा कि पृथ्वी पर अन्य भी हैं। सिर्फ मैं और मेरा भविष्य ही मेरा विषय नहीं है। किन्तु यह सब भी तभी संभव है जब तामसिकता का अभाव हो और सात्विकता का संचार हो। संकीर्ण चिन्तन और घातक नीतियाँ भारतवर्ष में जहाँ एक तरफ शुद्ध विवेक संगत विज्ञान और धर्म प्राचीन समय से विद्यमान हैं वहीं दूसरी तरफ अनेक सूत्रों की तथा अन्य
SR No.034026
Book TitleAhimsa Darshan Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherLal Bahaddur Shastri Rashtriya Sanskrit Vidyapitham
Publication Year2012
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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