SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 135
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नवम अध्याय 133 (3) प्रवेश प्रक्रिया में धांधली, ऊँची पहुँच तथा पैसे के बल पर प्रवेश। (4) प्राइवेट ट्यूशन तथा कोचिंग न करने पर अध्यापकों द्वारा फेल करने की धमकी। (5) (6) अध्यापकों का छात्र/छात्राओं के प्रति निर्मम व्यवहार। नकल रोकने पर अध्यापकों की छात्रों द्वारा पिटाई । इत्यादि इन कुछ बातों ने पवित्र शिक्षा पद्धति को हाशिए पर ला खड़ा किया है। शिक्षा का क्षेत्र जब से व्यवसाय, इण्डस्ट्री का क्षेत्र बन गया है तब से वह आम मनुष्य से काफी दूर हो गया है। बड़े बड़े माफिया और डॉन बन्दूक की नोक पर शिक्षण संस्थान चला रहे हैं। इन पर अंकुश लगाकर हिंसा से बचा जा सकता है। शिक्षकों से भी यह अपेक्षा की जाती है कि वे डरा-धमका कर या पिटाई से छात्रों को सुधारने की बजाय, उन्हें प्रभावित करके प्यार और भावनाओं के माध्यम से ज्ञान प्रदान करें। छात्र/छात्राओं से भी अपेक्षा की जाती है कि वे अध्यापकों का सम्मान करें तथा विनम्रतापूर्वक उनकी बातों को स्वीकार करें। वास्तव में अहिंसा के प्रयोग बिना ज्ञान के आदान-प्रदान की प्रक्रिया सम्भव ही नहीं है। क्या किसी गुरु की छाती पर बन्दूक रखकर उससे ज्ञान लिया जा सकता है? - नहीं, यह प्रक्रिया सतत अहिंसा से ही सम्भव है।
SR No.034026
Book TitleAhimsa Darshan Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherLal Bahaddur Shastri Rashtriya Sanskrit Vidyapitham
Publication Year2012
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy