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________________ . . गाथा परम विजय की मनुष्य की मनोवृत्ति है कि वह दूसरे की शिक्षा को बहुत कम पसंद करता है। उसके भीतर एक अहं होता है और वह अहं बार-बार फुफकारता है। काला नाग जितना नहीं फुफकारता, उतना अहं फुफकारता है। दूसरे की बात को सुनने नहीं देता और उस पर सम्यक् श्रद्धा तो करने ही नहीं देता। जब अहं प्रबल होता है, अनेक समस्याएं पैदा होती हैं। औरों की बात छोड़ दें। ये जो पशु-पक्षी होते हैं, उनमें भी अहं होता है। वे दूसरे की बात सुनना पसंद नहीं करते। ___ प्रसिद्ध कथा है। बया ने बंदर को सीख दी बरसात हो रही है। ठिठुराने वाली, हाड़ कंपाने वाली सर्दी में कांप रहा है। घर क्यों नहीं बना लेता? ____ बया ने कोई बुरी बात नहीं कही किन्तु अहं यह नहीं देखता कि बुरी बात कही जा रही है या अच्छी। अहं इतना बलवान होता है कि व्यक्ति सोचता है मुझे कहने वाला कौन? बंदर आवेश में आ गया, छलांग लगाई और यह कहते हुए बया का कलापूर्ण घर तोड़ दिया-मैं घर बनाने में समर्थ नहीं हूं किन्तु घर तोड़ने में समर्थ हूं। जम्बूकुमार बहुत अच्छी बात कह रहा है किन्तु रत्नचूल का अहं इतना प्रबल है कि उसे वह प्रिय नहीं लग रही है। जम्बूकुमार हितवचन कह रहा है पर उसके सिर पर चोट लग रही है, हृदय में कांटा सा चुभ रहा है। वह सोच रहा है कि यह कब बोलना बंद करे? ____ जम्बूकुमार ने बोलना बंद नहीं किया। उसने अपना वक्तव्य जारी रखा–'विद्याधरपति! तुम शक्तिशाली हो, जीत जाओगे। आखिर जीतने के बाद क्या होगा?' न कोपि विजयी भूत्वा, निष्प्रत्यूहविजृम्भितः। संसृतावत्र जीवानां, प्रत्यक्षं यमभक्षणात्।। जीतकर भी कोई निर्विघ्न जीवन नहीं जी सकता। आज कोई जीत गया। जो हारा है, वह अथवा उसकी संतान कल फिर तम पर आक्रमण करेगी। यह वैर का अनुबंध चलता रहेगा। M
SR No.034025
Book TitleGatha Param Vijay Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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