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________________ ____ हम इस तथ्य पर ध्यान दें। एक आदमी के पास लाख रुपया है। क्या वह लाख रुपए से सुखी बनता ? पहली दृष्टि में ऐसा लगता है कि वह सुखी बनता है। किन्तु वह निरंतर यह सोचता रहता है कि मेरे स लाख है, करोड़ नहीं है। जो नहीं है उससे दुःखी ज्यादा बनता है। जो है उससे सुखी कम बनता है। ग मकान दो मंजिला है, उससे उसको सुख नहीं मिलता। पड़ोसी का मकान पांच मंजिला है उससे दुःखी सादा रहता है। यह एक ऐसी मनःस्थिति है कि जो प्राप्त है, उससे सुख कम पाता है और जो प्राप्त नहीं है, को देखकर दुःखी ज्यादा बनता है। ___ प्रभव ने संबोध देते हुए कहा-'भाइयो! जो आदमी हिंसा करता है, दूसरे को सताता है, ज्यादा लोभ । रता है, झूठ बोलता है वह कभी सुखी नहीं होता।' चोरों का एक स्वर आया-'फिर सुख कहां है? कौन-सा रास्ता है सुख का?' ___ जम्बुकुमार ने कहा-'भाइयो! सुख का रास्ता है-संयम। तुम चोरी को छोड़ो, दूसरों को सताने की त छोड़ो, झूठ बोलना छोड़ो, लोभ, लालच को छोड़ो फिर देखो सुख कैसा होता है!' __ जम्बूकुमार ने हृदयस्पर्शी भाषा में सुख का रहस्य समझाया। जम्बूकुमार केवल कंठ से नहीं बोलता , उसकी अंतरात्मा बोलती थी, आंतरिक वैराग्य बोलता था। वैराग्य से भावित कोई भी शब्द निकलता तो वह दूसरे को रंग देता है। कुसुंभा गलकर दूसरे को रंग देता है। जम्बूकुमार की आत्मा वैराग्य से इतनी ति-प्रोत थी कि एक-एक शब्द में जादू जैसा था। ____ जम्बूकुमार की बात सुनकर सारे चोर स्तब्ध रह गये। पहले उनके हाथ-पैर स्तब्ध थे। वह स्तब्धता परम विजय की पाप्त हो गई, हाथ-पैर बंधन मुक्त हो गए तो अब मन स्तब्ध हो गया। वे एकदम चित्रवत् देखने लग गये, 'चिन्तन में लीन हो गए यह किशोर बड़ी गजब की बात कह रहा है। कितना ज्ञानी है यह किशोर! क्या ई पहुंचा हुआ सिद्धयोगी है? चोरों की चेतना प्रकंपित हो गई। उनके मन में एक उद्वेलन और आंदोलन हो गया। इस आंदोलन और उद्वेलन का परिणाम क्या होगा? क्या वे जम्बूकुमार और प्रभव के पथ का अनुगमन कर सकेंगे? चेतना का प्रकंपन क्या शुभ संकल्प की सृष्टि कर एक नए इतिहास की रचना का पथ प्रशस्त करेगा? गाथा
SR No.034025
Book TitleGatha Param Vijay Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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