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________________ HSAHary ((Admin गाथा परम विजय की चाहे व्याख्यान हो और चाहे साधना का कोई प्रयोग हो, वहां आकर्षण होता है। जहां रस न आये, रस न टपके, वह ज्यादा चल नहीं सकता, आकर्षण पैदा नहीं करता। रस होता है तो आकर्षण बना रहता है। ___ जम्बूकुमार भी सरसता प्रेमी थे। वे बोले-'कनकश्री! मैं कैसा हूं, कैसा होऊंगा? इसकी चर्चा अभी छोड़ो। तुम यह बताओ कि वह युवक अपनी जिद के कारण दुःखी कैसे बना?' ___ 'स्वामी! एक युवक मां का इकलौता पुत्र था। वह बड़ा हो गया पर किसी काम में नहीं लगा। निकम्मा और आवारा घूमता रहता। मां ने कहा-बेटा! कुछ काम करो। मां का कथन स्वीकार कर उसने काम करना शुरू किया। सुबह एक जगह जाता, नौकरी करता। दोपहर में झगड़ा कर उसे छोड़ आता। शाम को दूसरी जगह नौकरी कर लेता। नौकरी लगता रहा, छोड़ता रहा पर कहीं सफल नहीं हुआ। कुछ दिन इसी प्रकार बीत गए। ____ मां ने कहा-'बेटा! ऐसा मत करो। बार-बार स्थान मत बदलो। जिस चीज को पकड़ लो, उसको छोड़ो मत। तुम्हारे जीवन की सफलता का यह मंत्र है कि जिसको पकड़ो, उसको छोड़ो मत।' __जो भोला आदमी होता है वह पकड़ता ज्यादा है। पुत्र ने मां की बात को पकड़ लिया, कहा-मां! ठीक है। मैं ऐसा ही करूंगा।' ___ कुछ दिन बाद एक प्रसंग बना। वह युवक घर के बाहर खड़ा था। उधर से एक गधा दौड़ता हुआ आ रहा था और उसके पीछे-पीछे कुम्हार भी दौड़ रहा था। गधा कुम्हार की पकड़ में नहीं आ रहा था। कुम्हार ने दूर से आवाज दी–'अरे युवक! इस गधे को पकड़ लो। मैं आ रहा हूं।' युवक ने कहा-'ठीक है। सहयोग कर देता हूं।' वह गधे के पीछे दौड़ा। दौड़ते हुए गधे की पूंछ हाथ में आ गई। युवक ने पूंछ को पकड़ लिया। पूंछ पकड़ते ही गधा आक्रोश से भर उठा। उसने पूंछ छुड़ाने की कोशिश की। युवक ने पूंछ को और कसकर पकड़ लिया। गधा दुलत्ती मारने लगा। _ वह युवक गधे की पूंछ को पकड़े हुए है और गधा दुलत्ती मार रहा है। उसकी दुलत्तियों की चोट से वह आहत हो गया। चोट इतनी तेज थी कि शरीर लहूलुहान हो गया। लोग यह देखकर उसकी मूर्खता पर हंस पड़े। उन्होंने समझाया-'मूर्ख! मार क्यों खा रहे हो? पूंछ को छोड़ दो।' ___ युवक ने कहा-'चुप रहो तुम। मैं तुम्हारी बात मानूं या अपनी मां की बात मानूं? मेरी मां ने कहा है-जिसको पकड़ लो, उसको छोड़ना नहीं है। मां ने यह पक्का पाठ मुझे पढ़ाया है। कुछ भी हो जाये, मैं इसे छोडूंगा नहीं।' वह मार खाते-खाते लहूलुहान हो गया। ___ आखिर कुछ लोग आगे आए, कहा-'यह जिद्दी आदमी है। ऐसे नहीं छोड़ेगा।' उसको जबरन पकड़ कर छुड़वाया। युवक बोला-'भाई! तुम ऐसा मत करो। मेरी मां का जो आदेश है, उसमें हस्तक्षेप मत करो।' 'स्वामी! जो आदमी जिद्दी होता है वह कैसा होता है? और वह कैसे पछताता है? इसका सुन्दर उदाहरण है यह।' ___ लोगों ने उसकी नादानी का उपहास करते हुए कहा-'यह युवक मूर्ख है। इसमें परीक्षा करने की शक्ति नहीं है इसलिए यह दुःखी बना है, उपहास का पात्र बना है।' -
SR No.034025
Book TitleGatha Param Vijay Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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