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________________ 01/12 मौका है। दोनों एक साथ बावड़ी में कूदे। स्नान किया। स्नान करते ही योनि का परिवर्तन हो गया। दोनों आदमी बन गये। वे बडे खश हए कि हम बंदर से आदमी बन गये। एक विकास हो गया।' ___ डार्विन ने कहा था बंदर मनुष्य का पूर्वज है। विकासवाद के सिद्धांत में यह माना जाता है मनुष्य पहले बंदर था, फिर वह आदमी बना। एक व्यंग्य है। जापानी और अमेरिकन नागरिक परस्पर बात कर रहे थे। जापानी नागरिक ने कहाहमारे यहां बहुत बड़े-बड़े मकान बन गये हैं। कोई आदमी ऊपर की मंजिल से नीचे गिर जाए तो उसे नीचे आने में दस मिनट लग जाए। ___ अमेरिकन ने कहा-तुम हमारे देश की बात सुनो। हमारे यहां कितने ऊंचे मकान बने हैं? एक दिन एक बंदर ऊपर से नीचे गिरा और वह नीचे आते-आते आदमी बन गया। बंदर पूर्वज है और आदमी उसका विकास है। ‘प्रियतम! वे दोनों परस्पर बातचीत कर रहे हैं, बहुत प्रसन्न हैं। अचानक बंदर के मन में एक बात आई-बावड़ी बड़ी चमत्कारी है। हम एक बार नहाए और स्नान करते ही हम बंदर से आदमी बन गए। अब एक बार और स्नान करें तो आदमी से देवता बन जायेंगे। उसने अपनी पत्नी से कहा-देखो प्रिये! हम फिर बावड़ी में जायें, एक बार और नहा लें।' वह स्त्री बोली-पतिदेव! ज्यादा लोभ मत करो। पता नहीं, कल क्या हो जाए? बस जो होना था, गाथा बहुत अच्छा हो गया। हम अच्छे आदमी बन गए। दुनिया का सबसे अच्छा प्राणी है आदमी और हम परम विजय की आदमी बन गये। अब क्यों ज्यादा लोभ करते हो?' वह बोला-'नहीं, मेरा मन तो यह कहता है कि इस बार डुबकी लगाऊंगा तो देवता बन जाऊंगा। मुझे देवता बनना है।' उसने अपनी पत्नी को बहुत मनाने की कोशिश की, कहा-तुम भी मेरे साथ चलो।' उसने स्पष्ट शब्दों में कहा–'मैं तो पुनः स्नान के लिए नहीं जाऊंगी। देवता तुम बनो, मुझे तो आदमी ही रहना है।' पद्मश्री ने जम्बूकुमार की ओर स्नेहिल दृष्टि से निहारते हुए कहा-'प्रियतम! ध्यान से सुनते हो ना। स्त्री ज्यादा समझदार होती है। आप उस बंदर जैसे हैं, जो हमारी बात पर ध्यान नहीं दे रहे हो।' ___ 'प्रियतम! वह स्त्री बावड़ी के भीतर नहीं गई। उसने अपने पति को बहुत समझाने का प्रयत्न किया। बावड़ी में पनः न नहाने का आग्रह किया। उसने आगाह किया स्वामी! कहीं आपको अति लोभ में पछताना न पड़े।' ___ पति ने उसका परामर्श और आग्रह अस्वीकार कर दिया। वह आदमी बहुत लोभी और लालची बन गया। ___ पद्मश्री ने जम्बूकुमार को व्यंग्यात्मक लहजे में कहा–'प्रियतम! आपमें और वानर में यह समानता है A ' कि उसने भी स्त्री की बात नहीं मानी, आप भी अपनी पत्नियों की बात नहीं मान रहे हैं।'
SR No.034025
Book TitleGatha Param Vijay Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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