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________________ गाथा परम विजय की अगर विश्वास करना है तो चेतना में विश्वास करो, इस बिजली में विश्वास मत करो। बिजली एक क्षण में ऐसी जाती है कि घोर अंधकार छा जाता है। चेतना में विश्वास करो। स्थिर में विश्वास करो, चंचल में विश्वास मत करो। यह बिजली चंचल है। एक क्षण के लिए चमकती है, जलती है और चली जाती है।' हम रात को अनेक बार देखते हैं। प्रवचन के लिए जाते हैं, बहुत प्रकाश होता है। कभी अचानक बिजली चली जाती है, घोर अंधकार हो जाता है।' विद्युत् स्थिर नहीं है। ___'बरसात के दिनों में जब काले मेघ मंडराते हैं तब बिजली चमकती है। एक क्षण में विलीन हो जाती है। उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। विश्वास स्थिर में होगा। चंचल में विश्वास मत करो। उसका कोई भरोसा नहीं है इसलिए मैं स्थिर में विश्वास करता हूं। तुम लोगों ने चंचल में विश्वास कर रखा है इसलिए यह तुम्हारा विश्वास काम नहीं देगा'–जम्बूकुमार ने आध्यात्मिक भाषा में अपनी बात कही। ____ ज्येष्ठा समुद्रश्री सब बहनों को संबोधित करते हुए बोली-'इनसे क्या बात करें? यह आदमी निर्दय है। जिसमें दया ही नहीं है उससे बात करने से क्या मिलेगा? अगर थोड़ी दया, हया होती तो क्या यह इस प्रकार की अरुचिपूर्ण बात करता? कभी नहीं करता किन्तु इसमें दया का कहीं लेश नहीं है। करुणा का स्रोत सूख गया है। यह बात कटु अवश्य है, इनके सामने कहनी चाहिए या नहीं, किन्तु ऐसा लगता है इनमें पुरुषत्व नहीं है।' अहोऽस्मिन् निर्गुणे पुंसि, किं कृतेनापि चाटुना। बाणाः कुर्वन्ति किं षण्ढे, मन्मथस्यापि सर्वशः।। समुद्रश्री ने जम्बूकुमार के पुरुषत्व पर व्यंग्य करते हुए कहा-'हम इनसे क्या बात करें। इनके सामने बात करने का अर्थ है किसी बधिर के सामने गीत वाद्य प्रस्तुत करना।' एक श्रेष्ठी ने खूब महफिल सजाई, नर्तकों नर्तकियों को बुलाया, सैकड़ों-सैकड़ों लोगों को निमंत्रण दिया। पूरी परिषद् जुड़ गई, नाट्यशाला दर्शकों से भर गई। नृत्य शुरू होने से पूर्व संयोजक ने कहा-'बहुत बढ़िया नृत्य दिखाना है। स्टेज पर जो मुखिया बैठा है, उसको दिखाना है।' 'वह कौन है?' 'वह अंधा है पर इसी को दिखाना है। अंधे को कोई क्या नाट्य दिखायेगा?' संगीत की सभा जुड़ी। प्रख्यात शास्त्रीय संगीतकारों को बुलाया। पूछा गया किसको सुनाना है? कौन है सुनने वाला? संयोजक ने कहा-'स्टेज पर सामने बैठा है, उसे सुनाना है किन्तु वह बहरा है।' समुद्रश्री ने कहा-'जम्बूकुमार के सामने आलाप-संलाप करने का अर्थ है अंधे को नृत्य दिखाओ और बहरे को संगीत सुनाओ।' कातरैः कि कृपाणेन-कृपाण कायर को देने से क्या होगा? एक कायर व्यक्ति जा रहा था। किसी ने कहा-यह तलवार ले जाओ। तलवार हाथ में दे दी। दूसरे ने पूछा-'उसके हाथ में तलवार क्यों दी?' 'उससे सुरक्षा होगी।' वह थोड़ा आगे बढ़ा। सामने से कोई वीर आदमी आया, बोला- 'खबरदार! आगे मत बढ़ो।'
SR No.034025
Book TitleGatha Param Vijay Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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