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________________ भी नहीं है। फिर भी सामाजिक जीवन में एक आकर्षण होता है, मोह होता है, मूर्छा होती है। व्यक्ति सोचता है कि हमारा घर बराबर चलता रहे, मंडा हुआ घर बिखरे नहीं। यह ममता की बात सबके मन में . पल रही है। आठ कन्याओं के माता-पिता के मन में, जम्बूकुमार के माता-पिता के मन में एक बोझिलपन है। उनका दिमाग बोझिल बन गया, भारीपन आ गया किन्तु जम्बूकुमार का दिमाग बोझिल नहीं है। विवाह से पहले भी खाली था, अब भी खाली है। उसके मन में कोई विकल्प नहीं है, एक दृढ़ निश्चय है कि मुझे तो साधु बनना है, सब कुछ त्यागना है। जहां त्याग की बात होती है वहां दिमाग बोझिल नहीं बनता। दिमाग बोझिल बनता है संग्रह में। जहां संग्रह करने का प्रश्न है वहां सिर पर बोझ आता है। जहां छोड़ने की बात है वहां बोझ उतर जाता है, बोझ रहता ही नहीं है। ____ जम्बूकुमार और माता-पिता, दोनों की अलग-अलग स्थितियां हैं। जम्बूकुमार की स्थिति अलग है, माता-पिता की स्थिति अलग है, चिंतन भी अलग है। विवाह संपन्न कर जम्बूकुमार अपने घर आया। आठों पत्नियों को साथ लेकर सीधा मां के पास गया। मां को प्रणाम किया। पत्नियों से कहा-मां के चरणों में प्रणाम करो, नमस्कार करो।' सद्यः परिणीता कन्याओं ने निर्देश को शिरोधार्य कर मां को नमस्कार किया। जम्बूकुमार बोला-मां! मेरा संकल्प पूरा हुआ। तुमने कहा था कि तुम विवाह करो, सब बहुओं को पगे लगाओ। मेरा विवाह हो गया। आठों बहुएं तैयार हैं, आपके चरणों में नत हैं।' गाथा 'मा! मैंने आपकी आज्ञा का पालन किया। अब आपको मेरी भावना का सम्मान करना है।' परम विजय की यह बात सुनते ही मां का मन भारी हो गया। क्या मां के मन का भार हलका होगा? क्या नवोढ़ा वधुएं जम्बूकुमार के मानस को बदलने में सफल होंगी?
SR No.034025
Book TitleGatha Param Vijay Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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