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________________ लिए तैयार हैं। आप भी तैयारी करें, हम भी तैयारी करें। जल्दी मुहूर्त देखें ताकि यह शुभ कार्य शीघ्र हो सके। गाथा परम विजय की दत ऋषभदत्त के प्रासाद पहुंचा, संदेश दिया। ऋषभदत्त ने संदेश-पत्र पढ़ा। वह पुलकित हो गया, बड़ी प्रसन्नता हुई। सोचा-समस्या का सुंदर समाधान हो गया। ऋषभदत्त ने जम्बूकुमार को बुलाया, संदेश-पत्र उसके हाथ में थमाया। जम्बूकुमार बोला-पिताश्री! मैं तो सहमत हूं। आपकी इच्छा है, मां की इतनी इच्छा है तो शादी कर लूंगा। किन्तु यह स्पष्ट है मैं ब्रह्मचारी रहूंगा और मुनि बनूंगा। यह मेरा दृढ़ निश्चय है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं आयेगा।' 'पुत्र! इस निश्चय पर ही यह निर्णय हुआ है। तुम्हारे निर्णय को टाला नहीं गया है।' 'पिताश्री! फिर ठीक है। जो मैंने कह दिया, वह मुझे मान्य है। यदि विवाह करने से आपको प्रसन्नता होती है तो मुझे कोई कठिनाई नहीं है। मैं आपकी प्रसन्नता के लिए पाणिग्रहण कर लूंगा किंतु मेरे निर्णय में कोई परिवर्तन होने वाला नहीं है।' व्यक्ति में मनोबल होता है तभी वह सफल हो सकता है। सबसे बड़ी बात है मनोबल। जैन-दर्शन में बतलाया गया है-आत्मा में अनन्त बल है। आत्मा में सचमुच अनन्त बल है किंतु वह प्रकट होता है मनोबल के सहारे। जिसने मनोबल की साधना कर ली उसका बल प्रकट हो जाता है। जिसका मन कमजोर है उसका बल प्रकट नहीं होता। बल को प्रकट होने के लिए भी कोई माध्यम चाहिए। एक माध्यम है हमारा शरीर, एक माध्यम है वाणी और एक माध्यम है मन। ये तीन माध्यम हैं-शरीरबल, वाक्बल और मनोबल। यदि ठीक प्रयोग किया जाए तो शरीर का बल भी बढ़ता है, वाणी का बल भी बढ़ता है और मन का बल भी बढ़ता है। जरूरत है अभ्यास की। ___ एक व्यक्ति के मन में आया मुझे सांड को उठाना है। सांड कितना भारी भरकम होता है। वह खुला घूमता है और कितना शक्तिशाली होता है! जिन लोगों ने बीकानेर का रांगड़ी चौक देखा है, वहां सांड बहुत घूमते हैं। वे इतने शक्तिशाली होते हैं कि खंभे को टक्कर मार दें तो खंभा ही टूट जाए। व्यक्ति ने निश्चय किया सांड को उठाना है। कैसे उठाए? उपाय खोज लिया। गाय के बछड़ा जन्मा। उसको पहले दिन उठाया। दूसरे दिन उठाया, तीसरे दिन उठाया, रोज उठाता चला गया। एक ओर प्रतिदिन वह बढ़ रहा है दूसरी ओर वह व्यक्ति रोज उठा रहा है। उसका शरीर बल भी बढ़ रहा है। वह उसे रोज उठाता गया। वह बड़ा हुआ, सांड बना तो उसको भी सहजता से उठा लिया। क्योंकि रोज उठाता चला गया इसलिए अभ्यास हो गया। ___ बल को बढ़ाया जा सकता है। प्राचीन युग में अभ्यास कराया जाता था। एक केला भूमि होती थी बल बढ़ाने के लिए। शरीर के बल को कैसे बढ़ाया जाए? भारी-भारी गदाएं, भालें उठाते थे। संस्कृत साहित्य में आता है-एक खलुरिका होती थी। जैसे मल्लों के लिए अखाड़े होते है वैसे बल बढ़ाने के लिए जो स्थल होता वह खलुरिका कहलाती। वहां जाकर अपने शरीर का बल बढ़ाया जाता था। शरीर का बल बढ़ सकता है। इसी प्रकार वचन का बल बढ़ सकता है। वाणी में इतनी ताकत होती है कि एक शब्द कह दे तो दूसरा १४८
SR No.034025
Book TitleGatha Param Vijay Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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