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________________ गाथा परम विजय की प्राकृत साहित्य की बहुत सुन्दर कथा है। समुद्र के तट पर एक खोपड़ी पड़ी थी। एक यात्री जा रहा था। उसने खोपड़ी को देखा। खोपड़ी बड़ी विचित्र ढंग की थी। उस पर लिखा हुआ था जम्मो कलिंगदेसे, अंगदेसे य मज्झिमे। मरणं समुद्दतीरे, अज्जो किं किं भविस्सइ।। कलिंग देश में जन्म हुआ। अंग देश में व्यापार किया। समुद्र के तट पर मरण हुआ। पता नहीं अब क्या-क्या होगा? कलिंग में जन्म, अंगदेश में व्यवसाय और समुद्र तट पर मरण इतिहास की तीन घटनाएं सामने आ गईं। चौथी पंक्ति में लिखा था-अज्जो किं किं भविस्सई-अब और क्या-क्या होगा? उसने सोचाआदमी मर गया, खोपड़ी रह गई, अब मरने के बाद क्या होगा? मन में एक कुतूहल पैदा हो गया यह चौथी पंक्ति क्यों लिखी? उसने खोपड़ी को कपड़े में लपेट लिया, पेटी में बंद कर ले आया। वह सुबहसुबह रोज खोपड़ी को देखता, इस पंक्ति को पढ़ता-अज्जो किं किं भविस्सई-अब और क्या होगा? ' ___उसके इस क्रम ने पत्नी के मन में संदेह का बीज बो दिया। उसने सोचा–पति प्रदेश से लौटा है। वहां किसी के साथ प्रेम संबंध हआ और वह मर गई। यह उसकी खोपडी लाया है और रोज इसको देखता है। इस चिन्तन से संदेह गहरा बन गया। इस दुनिया में कलह, संघर्ष और अनबन का बहुत बड़ा कारण है-संदेह। मन में एक कल्पना उठती है, एक संदेह होता है और दृष्टिकोण बदल जाता है। पत्नी के मन में संदेह हो गया, उसने सोचा-अब मैं प्रिय नहीं रही, यह प्रिय हो गई। मुझसे तो बात भी नहीं करता और सुबह-सुबह इसका दर्शन करता है। ___ एक दिन पति बाहर गया हुआ था। उसने खोपड़ी निकाली, उसको पीसा। उसका चूर्ण बना दिया। सायं कढ़ी बनाई। कढ़ी में चने का आटा डालते हैं। उसने चने के स्थान पर खोपड़ी का चूरा डाल दिया,
SR No.034025
Book TitleGatha Param Vijay Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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