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________________ 62 शिक्षाप्रद कहानिया समझा जाता है। दूसरे दिन गुरु द्रोणाचार्य ने राजकुमार दुर्योधन को अपने पास बुलाकर कहा- 'वत्स! तुम सारे नगर में जाओ और एक अच्छा आदमी ढूँढकर लाओ।' दुर्योधन ने कहा- 'जैसी आपकी आज्ञा! और वह अच्छे आदमी की खोज में निकल गया। और कई दिनों तक ढूँढता रहा, लेकिन उसे कोई भी अच्छा आदमी नहीं मिला। और अन्त में थक-हारकर गुरु द्रोणाचार्य के पास आकर बोला- 'गुरु जी, मैंने न केवल नगर बल्कि, आस-पास के सभी गाँवों को भी छान मारा लेकिन, मुझे कहीं भी अच्छा आदमी नजर नहीं आया। इसके बाद गुरु द्रोणाचार्य ने राजकुमार युधिष्ठिर को अपने पास बुलाया और कहा- 'बेटा! इस पूरी पृथ्वी से कोई बुरा आदमी ढूँढकर लाओ। यह सुनकर युधिष्ठिर बोला- 'गुरुदेव! मैं अवश्य प्रयत्न करूँगा। __ युधिष्ठिर बुरे आदमी की खोज में निकल गया। घूमते-घूमते महीनों बीत गए। लेकिन, उसे कोई बुरा आदमी नजर नहीं आया। और अन्त में थक-हारकर वापस आ गया और गुरु जी से निवेदन करने लगा- 'हे गुरुश्रेष्ठ! मैंने हर जगह बुरे आदमी की खोज की लेकिन, मुझे कहीं भी बुरा आदमी नहीं मिला। अतः मैं खाली हाथ ही लौट आया हूँ। यह सुनकर वहाँ उपस्थित सभी शिष्यों ने गुरु द्रोणाचार्य से पूछा- 'गुरुवर! ऐसा कैसे हो सकता है कि दुर्योधन को कोई अच्छा आदमी नहीं मिला और युधिष्ठिर को कोई बुरा आदमी नहीं मिला? यह तो बिलकुल विचित्र बात लगती है। सभी शिष्यों ने एक स्वर में कहा। यह सुनकर गुरु द्रोणाचार्य बोले- 'इसमें किसी का दोष नहीं है। यह दृढ़ सत्य है कि- जो व्यक्ति स्वयं जैसा होता है, उसे सभी वैसे नजर आते हैं। इसीलिए दुर्योधन को कोई अच्छा आदमी नजर नहीं आया और
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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