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________________ शिक्षाप्रद कहानियां 31 राजा ने पहले उन्हें अपना सारा महल दिखाया, अस्तबल दिखाया, खेत-खलिहान दिखाए और ये सब दिखाने के पश्चात् वे उन्हें अपने कोषागार में ले गए। वहाँ पर उन्होंने महात्मा को सोना-चाँदी, हीरे, पन्ने, मोती, नीलम आदि बहुमूल्य सम्पदा तथा रत्नों का संग्रह दिखाया। यह सब देखकर महात्मा बोले- राजन् इन पत्थरों से आपको कितनी आमदनी होती है? यह सुनकर विस्मित होते हुए राजा बोला- महात्मन् आप इन बहुमूल्य वस्तुओं को पत्थर कह रहें है । और रही बात आमदनी की तो इनसे आमदनी तो क्या होगी, बल्कि इनकी रक्षा हेतु उल्टा मुझे इन पर बहुत-सा धन व्यय करना पड़ता है। दुनिया भर के कर्मचारी रखने पड़ते हैं, तब कहीं जाकर मैं इनको सुरक्षित रख पाता हूँ। इतना सुनते ही महात्मा बोले- तब ये बहुमूल्य कैसे हुए? मैंने तो इनसे भी कीमती पत्थर देखे हैं। यह सुनकर राजा आश्चर्यचकित होते हुए बोला- 'अच्छा'! क्या आप मुझे भी उन बहुमूल्य पत्थरों के दर्शन करा सकते हो? महात्मा बोले- 'हाँ' क्यों नहीं? आप अभी चलें मेरे साथ मैं अभी आपको उन पत्थरों के दर्शन कराता हूँ। इतना सुनते ही राजा चल दिए महात्मा के साथ। महात्मा राजा को घुमाते - फिराते महल के नजदीक ही बसे हुए एक गाँव में ले गए। गाँव में एक साधारण - सा मकान था। वे राजा को मकान के अन्दर ले गए। जैसे ही उन्होंने मकान में प्रवेश किया तो देखा सामने ही एक औरत पत्थरों की चक्की से गेहूँ पीस रही थी और मधुर गीत गा रही थी। तब महात्मा बोले- राजन! यही है वे कीमती पत्थर, जिनसे यह महिला गेहूँ पीस रही है, और पीसते - पीसते जितनी यह हर्षित हो रही है उसका तो कुछ अन्दाजा ही नहीं लगाया जा सकता। और एक आपके
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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