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________________ 30 शिक्षाप्रद कहानिया में अपने से भी बड़ा गेहूँ का दाना लेकर एक दीवार पर चढ़ रही थी। वह दाना बार-बार उसके मुंह से छूटकर नीचे गिर जाता था। लेकिन, चींटी थी कि हार मानने को तैयार ही नहीं थी। दाना फिर नीचे गिरता और वह फिर उसे उठाती और दीवार पर चढ़ने लगती। और अन्त में वह अपने कार्य में सफल हो गई। यह सब देखकर रामदेव समझ गया कि एक बार मेहनत करने से यदि सफलता न मिले तो हमें निराश होकर अपना साहस नहीं छोड़ना चाहिए। पुनः पुनः प्रयास करना चाहिए। अन्त में हमें सफलता अवश्य ही मिलेगी। अगले दिन सूर्योदय से पहले ही रामदेव पहुँच गया खेत में। और उसने फिर हल चलाया, बीज बोया, पानी दिया और धीरे-धीरे फसल तैयार हो गई। फिर उसने खेत की कटाई की। और अबकी बार जो दाने निकले उन्हें देखकर तो रामदेव हैरान हो गया। क्योंकि अबकी बार दाने उसकी अपेक्षा से भी दस गुना अधिक थे। इसीलिए कहा भी जाता है कि असफलता मत रोक मुझे तु, हट जा दूर निराशा। तुझमें इतनी आग नहीं है, जितनी मुझ में आशा॥ १६. सब पत्थर हैं बहुत समय पहले की बात है। एक बार दक्षिण भारत की एक रियासत में एक महात्मा आए। रियासत के राजा ने उनका खूब आदर-सत्कार किया। और अन्त में राजा बोले आइए महात्मा अब मैं आपको अपनी रियासत की सम्पत्ति दिखाता हूँ। राजा मन-ही मन बड़े प्रमुदित हो रहे थे कि महात्मा मेरी सम्पत्ति को देखकर बड़े खुश होंगे और मुझे कोई अच्छा आशीर्वाद देंगे।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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