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________________ 24 शिक्षाप्रद कहानिया लालच के वशीभूत होकर चारों ने अपने प्राण गवाँ दिए। और वह धन वहीं पड़ा रह गया। जिसके लिए यह सब हुआ। इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी अतिलोभ नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका अन्त बुरा ही होता है। कहा भी जाता है कि- लोभाच्च नान्योऽस्ति रिपुः पृथिव्याम्। १३. द्वेष नहीं करना चाहिए प्रसिद्ध मैंट्रो शहर कलकत्ता में एक पॉश कॉलोनी है। उसमें बहुमंजिलि इमारतें बनी हुई हैं। एक दिन दो कुत्ते कहीं से घूमते-घामते आए। उन्होंने देखा इमारतों के बीच में गहरी छाया है और शीतल हवा चल रही है, गरमी के दिन थे। अतः उन्होंने सोचा क्यों न यहाँ आराम कर लिया जाए? और वे दोनों वहाँ आराम करने लगे। उन्हें गहरी नींद आ गई और वे शान्ति से नींद में सोते हुए खराटे भरने लगे। । उसी समय वहाँ एक घटना हुई और वह घटना यह हुई कि जिस इमारत के नीचे वे सो रहे थे उसकी ऊपरी मंजिल से किसी ने एक रोटी फेंक दी। और जैसे ही वह रोटी नीचे गिरी और पट की आवाज हई। तो आवाज सुनते ही दोनों ने अपनी-अपनी आँखें खोल दी। आँखों ही आँखों से दोनों कहने लगे मेरी-मेरी। दोनों खडे हो गए और एक साथ झपट पड़े। अब रोटी तो एक ही थी। इतनी बुद्धि उन बेचारों में थी नहीं कि आधी-आधी कर लें और शान्ति से खा लें। फलस्वरूप वे दोनों भिड़ गए और खूब लहूलुहान हो गए। अन्त में वह रोटी किसी एक के हाथ आई और उसने उसे खा लिया। इसके बाद वे दोनों वहीं आकर उसी प्रकार शान्तिपूर्वक ऐसे सो गए जैसे कुछ हुआ ही नहीं? यह दृष्टान्त बहुत बड़ी शिक्षा प्रदान करता है वर्तमान सन्दर्भ में।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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