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________________ 22 शिक्षाप्रद कहानिया बतलाते हैं कि नारद जी ने रत्नाकर को फिर ऐसा सद्मार्ग बतलाया कि उसने वहीं संकल्प ले लिया कि वह कभी कोई गलत काम नहीं करेगा। हमेशा सच्चाई के मार्ग पर चलेगा। और नारद जी से उसे ऐसी सत्प्रेरणा मिली कि वह डाकू रत्नाकर से ऋषि वाल्मीकि बन गये। और संस्कृत भाषा के सर्वप्रथम महाकाव्य 'रामायण' की रचना की। जोकि आज राष्ट्रीय-अन्ताराष्ट्रीय और विभिन्न प्रान्तीय भाषाओं में विश्वविख्यात है। १२. लालच बुरी बला है मध्य प्रदेश की चम्बल घाटी में एक गाँव था। वहाँ पर चार डाकू रहते थे। एक दिन उन्होंने एक साहूकार के यहाँ डाका डालने की योजना बनाई और रात्रि का इन्तजार करने लगे। जैसे ही रात हुई उन्होंने साहूकार के यहाँ सेंध लगाई और अपनी योजना को अंजाम दे दिया। बहुत धन मिला उसे लेकर वे एक पहाड़ी गुफा में चले गये, क्योंकि प्राप्त धन का बँटवारा भी करना था और रात भी बितानी थी। अतः यही तय हुआ कि रात्रि में यहाँ आराम कर लिया जाए और प्रातः धन का बँटवारा करके सब अपना-अपना हिस्सा लेकर अपने-अपने घर चले जायेंगे। __ वे वहाँ विश्राम करने लगे, लेकिन किसी को भी नींद नहीं आई। एक तो उन्हें यह डर था कि कहीं पकड़े न जाए दूसरी बात यह थी कि कहीं उनका ही कोई साथी धन लेकर नो-दो-ग्यारह न हो जाए। अतः जैसे-तैसे उन्होंने कहा भाई पहले इस धन को बाँट लो। । तत्पश्चात् उनमें से एक बोला- मित्रों! मुझे तो बहुत जोरों की भूख लगी है। भूख के मारे पेट में चूहे डांस कर रहे हैं और हो न हो तुम सब की भी यही दशा होगी। रही बँटवारे की बात तो धन तो हमारे ही पास है। अभी नहीं तो घण्टे दो घण्टे में बँट ही जाएगा। उससे पहले अगर थोड़े-बहुत भोजन का इन्तजाम हो जाए तो बहुत ही अच्छा हो।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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