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________________ 16 शिक्षाप्रद कहानिया जिस किसी ने भी भर्ती किया हो, वह अवश्य ही कोई महामूर्ख होगा।' इतना सुनना था कि सैनिक आगबबूला हो गया और उसका हाथ कमर पर बाँधी हुई बन्दूक की ओर गया। यह सब देखकर आचार्य बोले, 'अरे! तुम्हारे पास तो बन्दूक भी है। लेकिन चलाओगे कैसे! तुम्हें चलानी भी आती है क्या? इन शब्दों ने उसकी क्रोध रूपी अग्नि में घी का काम किया। और उसने तुरन्त बन्दूक आचार्य की छाती पर तान दी। तभी आचार्य बोले, 'लो नरक के दरवाजे खुल गए!' । आचार्य के ये शब्द उसके कानों तक पहुँचे भी न थे कि उसने अनुभव किया कि छाती पर बन्दूक तनी देखकर भी यह आचार्य बिलकुल शान्त और निर्भय बैठा है। उनका यह आत्मसंयम देखकर वह बड़ा विचलित हो गया। देखते ही देखते उसकी क्रोधाग्नि बिलकुल शान्त हो गई और उसने अपनी बन्दूक वापस कमर में टाँग ली। आचार्य ने यह सब देखा और बोले, 'लो, अब स्वर्ग के द्वार खुल गए!' १०. खुद को जानो इस संसार में यह एक बहुत ही विचित्र और आश्चर्यजनक सत्य है कि हममें से अधिकांश व्यक्ति ऐसे होंगे जो इस दुनिया-जहान की वस्तुओं को अच्छी तरह से जानते हैं और अगर नहीं जानते हैं तो जानने के प्रयत्न में लगे रहते हैं। चाहे उसके लिए कुछ भी क्यों न करना पड़े? और आजकल तो संचार के ऐसे-ऐसे साधन उपलब्ध हो गए हैं कि वह कहावत चरितार्थ हो गई है कि- 'दुनिया मेरी मुट्ठी में।' लेकिन फिर भी मनुष्य की यह इच्छा पूर्ण नहीं हो पाती और वह लगा रहता है जानने में वह यह महसूस करता रहता है कि अभी कुछ बाकी है, जो मैंने नहीं जाना, और इस इच्छा की पूर्ति बड़े ही आसानी से हो सकती है। बस स्वयं को जानना है कि मैं कौन हूँ? और सब कुछ करते हुए भी हम यह काम नहीं करते जिससे कि हमें अपने अन्दर हमेशा
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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